कर्नाटक में भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा था और बुरी तरह हारी। नतीजों के बाद ऐसा अंदाजा लगाया जा रहा था कि भाजपा इससे सबक लेगी और राज्यों में मजबूत क्षत्रपों के चेहरे आगे करेगी। कर्नाटक में हार का एक कारण येदियुरप्पा को हटाना और निराकार बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाना भी था। तभी कई राज्यों के प्रादेशिक क्षत्रपों की उम्मीद जगी थी और उनको लगा था कि अब उनको महत्व मिलेगा। लेकिन ऐसा नहीं होगा। भाजपा के जानकार सूत्रों के मुताबिक इस साल जितने राज्यों में चुनाव होने वाले हैं उन सबमें पार्टी नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ेगी। भाजपा के एक जानकार नेता का कहना है कि कर्नाटक में भाजपा मोदी के चेहरे पर हारी है इसलिए जरूरी है कि लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा मोदी के चेहरे पर जीते।
भाजपा के जानकार नेताओं का कहना है कि राजस्थान और मध्य प्रदेश अलग राज्य हैं। वे कर्नाटक की तरह नहीं है। कर्नाटक में भले मोदी का जादू नहीं चला लेकिन हिंदी पट्टी के राज्यों में जरूर चलेगा। इसलिए कर्नाटक में जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई राजस्थान और मध्य प्रदेश में होगी। राजस्थान में भाजपा विपक्ष में है और यह अंदाजा लगाया जा रहा था कि किसी को सीएम दावेदार घोषित करके पार्टी लड़ेगी। लेकिन ऐसा नहीं होने जा रहा है। केंद्र सरकार के नौ साल पूरे होने के मौके पर 31 मई को अजमेर में प्रधानमंत्री मोदी की रैली होगी और उसके बाद रैलियों का सिलसिला शुरू होगा, जो चुनाव तक चलेगा। बताया जा रहा है कि राजस्थान के हर जिले में मोदी की रैलियां होंगी। इस भीषण गर्मी से लेकर पूरी बरसात उनकी रैलियां चलती रहेंगी। भाजपा को राजस्थान में जीत का पूरा भरोसा है इसलिए श्रेय प्रदेश नेतृत्व को नहीं जाने दिया जाएगा। समूचा फोकस प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर रखा जाएगा।