त्रिपुरा में मंगलवार को चुनाव प्रचार बंद हो जाएगा। वहां 16 फरवरी को विधानसभा का चुनाव है। राज्य की 60 सीटों पर हो रहे विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पूरी ताकत झोंकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संसद की कार्यवाही से दो दिन का अवकाश था तो शनिवार को वे त्रिपुरा पहुंचे और दो चुनावी सभाओं को संबोधित किया। उससे पहले राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा शुरू होने के दिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सदन छोड़ कर त्रिपुरा में चुनावी सभा की। प्रधानमंत्री की शनिवार की सभा के अगले दिन अमित शाह फिर चुनावी रैली करने पहुंचे। सोचें, किस तरह से भारतीय जनता पार्टी चुनाव लड़ रही है।
इसके मुकाबले कांग्रेस की ओर से प्रदेश प्रभारी अजय कुमार प्रचार की कमान संभाल रहे हैं। कांग्रेस का एक भी बड़ा नेता चुनाव प्रचार करने त्रिपुरा नहीं गया है। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा को छोड़ें तो पार्टी का कोई महासचिव भी प्रचार नहीं कर रहा है। यह सही है कि कांग्रेस सिर्फ 13 सीटों पर लड़ रही है लेकिन अभी पूर्वोत्तर के जिन तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं उनमें कांग्रेस के लिए संभावना वाला एकमात्र राज्य त्रिपुरा ही है। सीपीएम के साथ तालमेल और तिपरा मोथा के अलग चुनाव लड़ने से संभावना है कि कांग्रेस और सीपीएम का गठबंधन जीत सकता है। लेकिन ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस के नेता खुद ही सरेंडर किए हुए हैं या इस भरोसे में हैं कि सीपीएम मेहनत कर ही रही है उसी के दम पर सरकार में आ जाएंगे। इससे यह भी लग रहा है कि राहुल गांधी के पांच महीने की पदयात्रा के बाद भी कांग्रेस में कुछ बदला नहीं है।