कांग्रेस पार्टी विपक्ष की एक बैठक का आयोजन करने वाली है। अब तक क्षेत्रीय पार्टियां इस तरह के आयोजन करती थीं। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन पिछले कुछ दिनों में दो बार सभी विपक्षी पार्टियों को एक मंच पर ला चुके हैं। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने भी यह काम किया है। विपक्ष की एकता बनाने के लिए निजी तौर पर भी नेताओं से मेल-जोल का काम प्रादेशिक नेता ही कर रहे थे। नीतीश कुमार इसी सिलसिले में दिल्ली में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और वामपंथी पार्टियों के नेताओं से मिले थे और अब तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी व समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिले हैं।
पहली बार होगा कि कांग्रेस विपक्षी पार्टियों के साथ एकजुटता बनाने के लिए औपचारिक बैठक करेगी। वैसे संसद सत्र के दौरान इस तरह की बैठकें होती रही हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पिछले दो सत्र से लगातार विपक्ष के नेताओं के साथ मिल कर संसद की रणनीति बना रहे हैं। उससे पहले महंगाई वगैरह को लेकर राहुल गांधी के साथ भी विपक्षी नेताओं की बैठक हुई थी। लेकिन वह घटनाक्रम भी संसद सत्र के दौरान का ही थी। जानकार सूत्रों का कहना है कि अगले लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्ष का एक साझा मोर्चा बनाने के मकसद से पहली बार कांग्रेस कोई बैठक बुलाने जा रही है।
बताया जा रहा है कि अगले महीने यानी मई में यह बैठक हो सकती है। सबको पता है कि पहली बैठक में कोई मोर्चा नहीं बन जाएगा लेकिन सबसे ज्यादा दिलचस्पी इस बात में होगी कि यूपीए से बाहर की विपक्षी पार्टियां इस बैठक में शामिल होती हैं या नहीं और अगर शामिल होती हैं तो उसके सर्वोच्च नेता खुद हिस्सा लेते हैं या कोई प्रतिनिधि भेजते हैं। ध्यान रहे ममता बनर्जी, के चंद्रशेखर राव, अरविंद केजरीवाल और अखिलेश यादव ये चार नेता कांग्रेस से दूरी बनाए हुए हैं। अगर इनके साथ जमी बर्फ पिघलती है और ये नेता कांग्रेस की बैठक में आते हैं या अपना प्रतिनिधि भेजते हैं तो वह विपक्षी एकता के लिए बड़ी बात होगी।
कांग्रेस के पुराने सहयोगी या यूपीए की पार्टियां जरूर इस बैठक में शामिल होंगी। बताया जा रहा है कि पिछले दिनों कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने मुंबई में मातोश्री जाकर उद्धव ठाकरे से मुलाकात की थी और उनको कांग्रेस की बैठक में शामिल होने का न्योता दिया था। उद्धव दिल्ली आने से थोड़ा हिचक रहे थे लेकिन कहा जा रहा है कि वेणुगोपाल के जोर देने पर वे राजी हो गए। इसी तरह तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, एनसीपी प्रमुख शरद पवार आदि नेता शामिल होंगे। यह देखना भी दिलचस्प होगा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बैठक में शामिल होते हैं या नहीं। वे स्वतंत्र रूप से विपक्षी एकता के लिए प्रयास कर रहे हैं। उनकी जगह जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष कांग्रेस की बैठक में शामिल हो सकते हैं। अभी इस बैठक की तारीख तय नहीं हुई है। ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस कर्नाटक के चुनाव नतीजों के बाद ही बैठक रखेगी।