राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

कांग्रेस की मीडिया टीम राहुल के लिए घातक!

जयराम रमेश की अध्यक्षता वाली मीडिया टीम की बड़ी जय जयकार है। यह धारणा बनी है कि उनकी टीम बहुत लड़ाकू है और सोशल मीडिया में भाजपा के हर नैरेटिव का रियल टाइम में काउंटर नैरेटिव पेश करती है। लेकिन मुख्यधारा की मीडिया के प्रबंधन में पार्टी का कामकाज कितना ढीला है यह शनिवार को राहुल गांधी की प्रेस कांफ्रेंस में दिखा। आमतौर पर ऐसी प्रेस कांफ्रेंस में मीडिया टीम तय करती है कि किन पत्रकारों को सवाल करना है और किस पत्रकार के सवाल का राहुल जवाब देंगे। तभी हैरानी हुई, जब एक पत्रकार ने भाजपा का हवाला देते हुए राहुल गांधी से सवाल पूछा और राहुल भड़क गए।

राहुल गांधी की परेशानी समझ में आती है। देश का 90 फीसदी से ज्यादा मीडिया केंद्र सरकार और भाजपा के प्रवक्ता की तरह बरताव करता है लेकिन किसी मीडिया समूह के पत्रकार पर राहुल गांधी का नाराज होना और उसे सार्वजनिक रूप से अपमानित करना अंततः उनके और कांग्रेस दोनों के लिए ठीक नहीं है, जबकि यह गलती सरासर मीडिया टीम की थी, जिसने पहले से प्रेस कांफ्रेंस को सैनिटाइज नहीं किया था। इसका नतीजा यह निकला है कि पूरा सोशल मीडिया राहुल गांधी की आलोचना से भरा है। एक, दो या 10-20 नहीं, सैकड़ों ऐसे पत्रकार, जो तटस्थ भाव से लिखते-पढ़ते हैं उन्होंने भी कहा है कि राहुल गांधी ने जैसे उस पत्रकार से बरताव किया उसे देख कर उनको बुरा लगा।

ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस की मीडिया टीम को प्रबंधन का पता ही नहीं हैं। एडवर्ड बर्नेस, एडवर्ड एस हरमन और नोम चोमस्की को थोड़ा बहुत पढ़ने वालों को भी पता है कि मीडिया में किसी से लड़ना और रणनीति बना कर अपनी बात को स्थापित करना दोनों दो चीजें हैं। जिस तरत से युद्ध में एक युद्धनीति या रणनीति होती है और एक एंबुश यानी भिड़ंत होती है, ये दोनों अलग चीजें हैं। जयराम रमेश की टीम एंबुश कर रही है लेकिन अपनी धारणा को स्थापित करने के लिए रणनीति नहीं बना रही है। इसका नतीजा यह है कि कई बार एंबुश में कामयाबी मिल जाती है और कई बार वह घातक साबित हो जाता है।

कांग्रेस की अभी की रणनीति राहुल गांधी को विक्टिम साबित करने की होनी चाहिए। यह देश और दुनिया को बताना था कि राहुल गांधी ने अदानी और हिंडनबर्ग का मुद्दा उठाया इसलिए उनकी सदस्यता गई है। भाजपा के इस प्रचार का जवाब देना था कि राहुल ने ओबीसी का अपमान नहीं किया है। लेकिन सजा होने और सदस्यता जाने के बाद पहली प्रेस कांफ्रेंस से जो धारणा बनी वह ये कि राहुल गांधी ने एक पत्रकार को अपमानित किया या पत्रकार के सवाल पूछने पर राहुल भड़क गए। दूसरा पक्ष अगर छोटी छोटी बातों की अनदेखी करने वाला होता तो अलग बात थी लेकिन दूसरा पक्ष तो ऐसी ही बातों को पकड़ कर धारणा बनवाता है।

By NI Political Desk

Get insights from the Nayaindia Political Desk, offering in-depth analysis, updates, and breaking news on Indian politics. From government policies to election coverage, we keep you informed on key political developments shaping the nation.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *