दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी पर कांग्रेस पार्टी ने कंफ्यूजन में होने की रणनीति बनाई है। पार्टी के राष्ट्रीय नेता और प्रवक्ता अलग बयान दे रहे हैं, जबकि प्रदेश कमेटी के नेताओं ने अलग स्टैंड लिया है, जबकि बड़े नेता चुप हैं। जिस समय सिसोदिया की गिरफ्तारी हुई उस समय रायपुर में कांग्रेस का अधिवेशन समाप्त हो रहा था। कांग्रेस के सारे बड़े नेता एक जगह थे और वहां से पार्टी इसका विरोध कर सकती थी। लेकिन पार्टी ने आधिकारक रूप से इस पर कुछ नहीं कहा, जबकि कांग्रेस के अधिवेशन का एक मुख्य मुद्दा केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का था। अधिवेशन में प्रियंका गांधी वाड्रा मुख्य रूप से इसका जिक्र किया और कहा कि अधिवेशन से पहले छत्तीसगढ़ के कांग्रेस नेताओं पर छापे डलवाए गए। केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का बड़ा मुद्दा बना रही कांग्रेस सिसोदिया की गिरफ्तारी पर चुप हो गई।
उलटे प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अनिल चौधरी ने सीबीआई की कार्रवाई का समर्थन किया। उन्होंने याद दिलाया कि वे भी इस मामले में कार्रवाई का अनुरोध करते रहे हैं और उन्होंने कई दस्तावेजों के आधार पर शराब घोटाले की पोल खोली थी। वे सीबीआई की इस कार्रवाई का श्रेय ले रहे हैं। पूर्वी दिल्ली से कांग्रेस के सांसद रहे संदीप दीक्षित ने भी इसका समर्थन किया है। उन्होंने कहा है कि कार्रवाई देर से हुई लेकिन सही है। दीक्षित ने दिल्ली सरकार की फीडबैक यूनिट के जरिए जासूसी कराए जाने के मामले में भी गिरफ्तारी की मांग की है। उन्होंने कहा है कि वह भ्रष्टाचार का नहीं, बल्कि देशद्रोह का मामला है और उसमें दिल्ली सरकार के मंत्रियों और उससे जुड़े अन्य लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए। इस तरह कांग्रेस केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई का चुनिंदा तरीके से विरोध और समर्थन करने की रणनीति अपना रही है।