कर्नाटक विधानसभा के साथ साथ चार राज्यों में लोकसभा की एक और चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए हैं। उपचुनाव के सारे नतीजे बड़ा असर डालने वाला हैं। इसमें भी खासतौर से उत्तर प्रदेश की स्वार विधानसभा, पंजाब की जालंधर लोकसभा और ओडिशा की झारसुगौडा सीट बहुत महत्व की है। आमतौर पर उपचुनावों से सरकारों की स्थिरता पर कोई फर्क नहीं पड़ता है लेकिन उनसे आगे की राजनीति प्रभावित होती है। इन तीनों सीटों के नतीजे संबंधित राज्यों की राजनीति को प्रभावित करेंगे। इसके साथ साथ आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी और बीजू जनता दल की राजनीति भी प्रभावित होगी।
गौरतलब है कि पिछले साल के अंत में हिमाचल और गुजरात के चुनाव के साथ ओडिशा की धामनगर सीट पर उपचुनाव हुआ था। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के जोर लगाने के बावजूद भाजपा ने उस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा था। अब बीजद विधायक नाबा किशोर दास की हत्या से खाली हुई झारसुगौडा सीट पर उपचुनाव है। बीजद के लिए यह प्रतिष्ठा की सीट है। अगले साल लोकसभा के साथ ही राज्य में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। और राज्य की मुख्य विपक्षी भाजपा भी पूरा जोर लगा रही है।
उत्तर प्रदेश की स्वार विधानसभा सीट समाजवादी पार्टी के अब्दुल्ला आजम को अयोग्य ठहराए जाने की वजह से खाली हुई है। रामपुर का पूरा इलाका समाजवादी पार्टी के दिग्गज आजम खान का गढ़ रहा है। रामपुर लोकसभा सीट से उनके इस्तीफा देने के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा वह सीट जीत चुकी है। उसके बाद उनके अयोग्य ठहराए जाने के बाद उनकी रामपुर सदर सीट पर भी भाजपा जीत गई है। अब उनके सामने बेटे की स्वार सीट को बचाने की चुनौती है। यह उनका आखिरी किला है। यूपी में छानबे सीट पर भी चुनाव है पर उसका महत्व स्वार जैसा नहीं है। इसी तरह पंजाब की जालंधर लोकसभा सीट राज्य की आम आदमी पार्टी सरकार के लिए परीक्षा है। इस सीट से आप को लोकसभा में अपना खाता खोलना है तो कांग्रेस के सामने अपनी यह सीट बचाने की चुनौती है।