प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सार्वजनिक रूप से हमेशा कहते रहे हैं कि वे प्रधान सेवक हैं। लेकिन उनकी पार्टी ऐसा नहीं मानती है। उनकी पार्टी मानती है कि वे सेवा नहीं कर रहे हैं, बल्कि देश के लोगों पर कृपा कर रहे हैं और इसके लिए देशवासियों को उनका आभारी होना चाहिए। तभी कोई नेता कहता है कि जनता उनको धन्यवाद कहे तो कोई कहता है कि जनता उनका आशीर्वाद लेने के लिए भाजपा को वोट दे। पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तमिलनाडु के दौरे पर गए थे। वहां चेन्नई की एक सभा में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने तमिलनाडु से मिले राजदंड सेंगोल को संसद में स्थापित किया है इसलिए राज्य के लोगों को उनका धन्यवाद करने के लिए 20 सांसद जिता कर भेजना चाहिए।
इससे पहले कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के प्रचार में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए राज्य के लोगों को भाजपा की सरकार बनवानी चाहिए। यह डबल इंजन की सरकार में ज्यादा विकास होने के दावे का ही एक रूप था। नड्डा के इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया हुई थी। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसे कन्नड लोगों को आत्मसम्मान से जोड़ते हुए कहा था कि कर्नाटक के लोग किसी के आशीर्वाद के आकांक्षी नहीं हैं। वे अपनी मेहनत और योग्यता के दम पर विकास कर रहे हैं। कर्नाटक में आशीर्वाद वाली बात उलटी पड़ गई थी। तमिलनाडु में भी धन्यवाद वाली बात कोई बहुत फायदेमंद नहीं होने वाली है।