बिहार में गंगा नदी पर बन रहे पुल का एक हिस्सा गिर गया है और इस पर राजनीति शुरू हो गई है। लेकिन जिस तरह की प्रतिक्रिया है और जैसे काम आगे बढ़ रहा है उसे देख कर लग रहा है कि कंपनी को कुछ नहीं होगा। जितने लोग हरियाणा की एसपी सिंगला कंपनी के खिलाफ कार्रवाई के पक्ष में हैं उससे ज्यादा लोग कंपनी को बचाने में लगे हैं। इस कंपनी को चुनने और इसके खराब काम करने के किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा रहा है। इसके कई कारणों में से एक कारण यह है कि जिस समय गंगा नदी पर यह पुल बनाने का ठेका दिया गया उसके बाद से तीन बार राजनीतिक समीकरण बदल चुका है।
पहले जनता दल यू की अकेले सरकार थी। उसके बाद जनता दल यू और राजद, कांग्रेस की सरकार बनी। फिर जनता दल यू और भाजपा की सरकार बनी और अब वापस जनता दल यू, राजद और कांग्रेस की सरकार है। यानी इस पुल का ठेका दिए जाने के बाद से लेकर अभी तक के कोई आठ-नौ साल के समय में जनता दल यू, भाजपा और राजद तीनों पार्टियों के लोग सड़क और पुल निर्माण के मंत्री रह चुके हैं। इसलिए सब आरोप लगाने से बच रहे हैं क्योंकि कौन किस पर आरोप लगाए और किस पर पलट के आरोप वापस आ जाए, यह तय नहीं है। दूसरे, बिहार में ही इस कंपनी के पास आठ-नौ हजार करोड़ रुपए का काम है। कोई भी कार्रवाई हुई तो सारे काम अटकेंगे।
तीसरे, यह कंपनी सड़क निर्माण से लेकर मेट्रो तक और पुल व फ्लाईओवर बनाने का काम लगभग पूरे देश में कर रही है। देश के 15 राज्यों में इस कंपनी का काम चल रहा है इसलिए सभी पार्टियों के साथ इसका संपर्क है। कुछ समय पहले लोहिया पथ निर्माण के दौरान भी पुल का एक स्लैब गिर गया था, जिसमें एक बच्ची की मौत हो गई थी। लेकिन तब भी कोई कार्रवाई नहीं हुई थी।