देश के कई राज्यों में राज्यपालों का पद खाली हो गया है और प्रभारी राज्यपालों से काम चल रहा है। कई केंद्र शासित प्रदेशों में उप राज्यपाल और प्रभारी का पद भी खाली है। वहां भी प्रभारियों के जरिए काम चल रहा है। पिछले कुछ दिनों से भाजपा के पुराने नेता या मंत्री पद से हटाए गए कुछ बुजुर्ग नेता या दूसरी पार्टियों से आए कुछ नेता इंतजार कर रहे हैं। उनको लग रहा है कि किसी छोटे बड़े राज्य के राजभवन में भेजे जा सकते हैं। लेकिन ऐसा लग रहा है कि भाजपा के दोनों शीर्ष नेताओं की प्राथमिकता यह नहीं है। तभी कई राज्यों में प्रभारी राज्यपालों से काम चल रहा है और एकाध जगह तो प्रभारी राज्यपाल का भी कार्यकाल पूरा हो गया है लेकिन नई नियुक्ति की कोई तैयारी नहीं है।
जैसे असम के राज्यपाल जगदीश मुखी का कार्यकाल पूरा हो गया है। पिछले साल अक्टूबर में उनके पांच साल पूरे हुए लेकिन वे अभी पद पर हैं और साथ ही पिछले काफी समय से नगालैंड के राज्यपाल का भी प्रभार संभाल रहे हैं। दोनों राज्यों में नई नियुक्ति होनी है। इसी तरह अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल बीडी मिश्रा का कार्यकाल पिछले साल अक्टूबर में पूरा हो गया। लेकिन वे अपने पद पर हैं और साथ ही सत्यपाल मलिक के रिटायर होने के बाद खाली हुए मेघालय का भी प्रभारी संभाल रहे हैं। इस तरह पूर्वोत्तर के चार राज्य हो गए, जहां राज्यपाल की नियुक्ति होनी है।
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के भी पांच साल पूरे हो गए हैं। वे जनवरी 2018 में मध्य प्रदेश की राज्यपाल बनी थीं और जुलाई 2019 में उनको उत्तर प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया था। इस साल मई में ओड़िशा के राज्यपाल गणेशी लाल का कार्यकाल भी पूरा हो रहा है। जहां तक उप राज्यपालों की बात है तो किरण बेदी के इस्तीफा देने के बाद पिछले करीब दो साल से पुड्डुचेरी के उप राज्यपाल का पद खाली है। तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सौंदर्यराजन अतिरिक्त प्रभार संभाल रही हैं। इसी तरह अंडमान निकोबार में एडमिरल आनंद कुमार जोशी का कार्यकाल पिछले साल अक्टूबर में पूरा हो गया। लक्षद्वीप में दादर नागर हवेली व दमन और दीयू के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल अतिरिक्त जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ही चंडीगढ़ के भी प्रशासक हैं। सो, सरकार चाहे तो अभी पांच राज्यपाल और पांच उप राज्यपाल और प्रशासक नियुक्त कर सकती है।