समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव जब से चेन्नई से लौटे हैं, तब से कांग्रेस पर दबाव बनाने में लगे हैं। एक मार्च को वे चेन्नई में थे, जहां तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन का 70वां जन्मदिन मनाया गया। इस मौके पर ज्यादातर वो पार्टियां थीं, जो कांग्रेस के साथ यूपीए में शामिल हैं। अखिलेश के वहां मौजूदगी से यह संदेश गया कि वे भी कांग्रेस के साथ तालमेल करने जा रहे हैं। इस मैसेज के बाद से ही वे कांग्रेस से दूरी दिखाने के काम में लग गए हैं। वे यह संदेश देना चाह रहे हैं कि उनकी पार्टी कांग्रेस के साथ तालमेल नहीं करने जा रही है।
सबसे पहले उनकी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने साफ साफ कहा कि समाजवादी पार्टी सिर्फ अपनी छोटी सहयोगी पार्टियों के साथ ही तालमेल करेगी। उन्होंने कहा कि सपा का तालमेल सिर्फ रालोद के साथ होगा। इसके बाद अखिलेश यादव अमेठी गए, जहां उनको गायत्री प्रजापति की बेटी की शादी में शामिल होना था। उस कार्यक्रम के बाद उन्होंने ट्विट करके अमेठी की कथित दुर्दशा के बारे में बताया। उन्होंने जमीन पर बैठी महिलाओं की फोटो शेयर की और यह संकेत दिया कि उनकी पार्टी अमेठी का चुनाव लड़ सकती है। ध्यान रहे समाजवादी पार्टी आमतौर पर अमेठी और रायबरेली से उम्मीदवार नहीं देती है, जहां नेहरू गांधी परिवार के सदस्य चुनाव लड़ते हैं। लेकिन अमेठी से लड़ने का संकेत देकर उन्होंने कांग्रेस पर दबाव बनाया है। असल में सपा यह भी दबाव बनाना चाहती है कि अगर तालमेल होता है तो कांग्रेस बहुत कम सीटों पर लड़ने के लिए राजी हो।