राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

अडानी बनाम ओबीसी का मुद्दा

मानहानि मामले में राहुल गांधी की सजा और उनकी लोकसभा सदस्यता खत्म करने का मुदा अब अदानी बनाम ओबीसी के मुद्दे में तब्दील हो गया है। राहुल गांधी ने अगड़ी जाति के दो भगोड़े आर्थिक अपराधियों पर हमला किया तो भाजपा ने इस आधार पर इस मामले को ओबीसी का अपमान बता दिया है क्योंकि उसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम भी राहुल गांधी ने लिया था। राहुल गांधी ने नीरव मोदी और ललित मोदी का नाम लिया था और उनको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जोड़ा था। इसके बाद उन्होंने सवालिया लहजे में कहा था कि सभी चोरों के सरनेम एक कैसे होते हैं।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि राहुल को इस तरह के सामान्यीकरण से बचना चाहिए। दो चार लोगों की गलतियों के लिए पूरे समाज को दोष नहीं दिया जा सकता है। लेकिन इसमें दो बातें ध्यान रखने वाली हैं। पहली तो यह कि मोदी नाम का कोई जातीय समुदाय नहीं होता है। कई जातियों और उपजातियों के लोग यह सरनेम लगाते हैं और दूसरा मोदी सरनेम वाले लोग ज्यादातर मामलों में पिछड़ी जाति के नहीं होते हैं। जैसे नीरव मोदी गुजरात के हैं और जैन समाज के हैं। इसी तरह ललित मोदी राजस्थान के मारवाड़ी हैं और वैश्य समाज के हैं। दोनों अगड़ी जाति में आते हैं। हां, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार भाजपा के नेता सुशील मोदी जरूर पिछड़ी जाति में आते हैं।

बहरहाल, एक तरफ भाजपा दो सवर्ण आर्थिक अपराधियों के मुद्दे को ओबीसी के अपमान में तब्दील करने में लगी है तो दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी इसे अदानी समूह के साथ जोड़ रही है। भाजपा कह रही है कि राहुल ने ओबीसी समुदाय का अपमान किया, जिसके लिए सूरत की अदालत ने उनको सजा दी है। इसमें भाजपा या सरकार का कोई हाथ नहीं है। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस मामले में यहां तक कहा कि नेहरू गांधी परिवार अपने लिए अलग आईपीसी बनाना चाहता है।

इसके जवाब में कांग्रेस का कहना है कि राहुल गांधी ने अदानी समूह की आर्थिक गड़बड़ियों का मुद्दा उठाया था। उन्होंने संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान अदानी और मोदी की एक विशेष विमान की तस्वीर दिखाई थी। राहुल ने आरोप लगाया था कि मोदी से दोस्ती के चलते अदानी को बचाया जा रहा है। कांग्रेस का दावा है कि इन आरोपों के बाद ही सरकार परेशान हुई और राहुल गांधी के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी हुई। कांग्रेस का कहना है कि लंदन में राहुल के भाषण के बहाने उनकी सदस्यता खत्म करने का प्रयास हुआ और जब लगा कि उससे काम नहीं चलेगा तो सूरत की अदालत के फैसले को बहाना बनाया गया। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता के बीच भाजपा अपना मुद्दा स्थापित करती है या कांग्रेस अदानी का मुद्दा बनाने में कामयाब होती है।

Tags :

By NI Political Desk

Get insights from the Nayaindia Political Desk, offering in-depth analysis, updates, and breaking news on Indian politics. From government policies to election coverage, we keep you informed on key political developments shaping the nation.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *