प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस सत्ता के लिए नहीं लड़ रही है, बल्कि उसके दो बड़े नेता अपने बेटों को सेट करना चाहते हैं। उनका इशारा दो पूर्व मुख्यमंत्रियों, दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की ओर था। दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन तीसरी बार विधायक बनने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं तो कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ उनकी पारम्परिक छिंदवाड़ा सीट से सांसद हैं। दोनों कुछ हद तक तो सेट हैं लेकिन फिर भी प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों अपने बेटों को सेट करना चाहते हैं।
अभी यह बात चल ही रही थी कि उधर कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा संसदीय बोर्ड के सदस्य बीएस येदियुरप्पा ने अपने बेटे बीवाई विजयेंद्र को राज्य की राजनीति में सेट कर दिया। भाजपा ने लम्बे इंतजार के बाद कर्नाटक के प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति की तो विजयेंद्र को कमान सौंपी। पार्टी आलाकमान को यह फैसला बहुत पहले करना था लेकिन येदियुरप्पा इस बात पर अड़े थे कि प्रदेश अध्यक्ष बनेगा तो उनका बेटा, वरना कोई फैसला नहीं होगा। सो, भाजपा का फैसला अटका था। मई में नतीजे आने के बाद भी विधायक दल का नेता नहीं तय हो रहा था और न अध्यक्ष का फैसला हो रहा था। अब कम से कम एक फैसला हो गया।
असल में येदियुरप्पा सक्रिय राजनीति से रिटायर ही नहीं हो रहे थे। पार्टी ने उनको मुख्यमंत्री पद से हटा दिया था और उन्होंने विधानसभा की अपनी सीट भी छोड़ दी थी, जहां से विजयेंद्र विधायक बने हैं लेकिन वे राजनीति से रिटायर नहीं हो रहे थे। वे लगातार प्रदेश का दौरा कर रहे थे और कह रहे थे कि अगले चुनाव में भाजपा को सत्ता दिला कर रहेंगे। ध्यान रहे विधानसभा चुनाव से पहले लिंगायत वोट की मजबूरी में पार्टी को उनको संसदीय बोर्ड में शामिल करना पड़ा था। उनको मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद विधानसभा चुनाव में पार्टी का जैसे सफाया हुआ और पार्टी के अंदर के उनके विरोधी जिस तरह से चुनाव हारे उससे शीर्ष नेताओं को उनकी ताकत का अंदाजा हो गया था। सो, कम से कम लोकसभा चुनाव तक उनको खुश रखने की मजबूरी हो गई।
सो, पार्टी ने उनके विधायक बेटे को प्रदेश अध्यक्ष बनाया। उनके एक बेटे बीवाई राघवेंद्र शिवमोगा सीट से पार्टी के सांसद हैं। अब सवाल है कि क्या पार्टी येदियुरप्पा को संसदीय बोर्ड से हटाएगी? भाजपा यह दावा करती है कि एक परिवार से एक से ज्यादा लोगों को पद नहीं मिलेग। लेकिन यहां येदियुरप्पा संसदीय बोर्ड के सदस्य हैं, बीवाई विजयेंद्र प्रदेश अध्यक्ष और बीवाई राघवेंद्र सांसद हैं। भाजपा ने पिछले चुनाव में जिस तरह से छत्तीसगढ़ में रमन सिंह के बेटे की टिकट काट दी थी वैसे कर्नाटक में येदियुरप्पा के बेटे की टिकट काट सकती है? कम से कम लोकसभा चुनाव तक येदियुरप्पा के संसदीय बोर्ड से हटने या उनके बेटे की टिकट कटने की संभावना बहुत कम है। चुनाव के बाद भी वे घर बैठने वाले नहीं हैं। 80 साल के येदियुरप्पा अगले साढ़े चार साल तक सक्रिय बने रहेंगे ताकि 2028 के चुनाव में भाजपा जीते तो वे अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनवा सकें।