झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण में 43 सीटों पर मतदान हो गया है। 13 नवंबर को 15 जिलों की 43 सीटों पर वोट डाले गए। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक कुल 66.65 फीसदी मतदान हुआ, जो पिछली बार के मुकाबले 2.75 फीसदी ज्यादा है। आमतौर पर मतदान बढ़ने को सत्ता विरोधी लहर के तौर पर देखा जाता है। तभी भाजपा के नेता उत्साहित हैं। उनको लग रहा है कि लोगों ने हेमंत सोरेन की सरकार को हराने के लिए मतदान किया है। लेकिन क्या सचमुच ऐसा है? मतदान के तीन दिन के बाद चुनाव आयोग ने जब विस्तार से वोट का आंकड़ा जारी किया तब पता चला कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं ने बहुत ज्यादा मतदान किया है।
इसके बाद से सारा हिसाब किताब बिगड़ा हुआ है। भाजपा के नेता बैकफुट पर हैं। वे कह रहे हैं कि महिलाओं ने बदलाव के लिए वोट किया है लेकिन कहीं न कहीं उनको लग रहा है कि हेमंत सोरेन सरकार की मइया सम्मान योजना के असर में भी मतदान का प्रतिशत बढ़ा है। इसके अलावा हेमंत सोरेन की पत्नी और गांडेय की विधायक कल्पना सोरेन की सक्रियता से भी महिलाएं ज्यादा बड़ी संख्या में वोट डालने निकलीं। पुरुष और महिला वोटों का अंतर करीब पांच फीसदी है।
पुरुषों ने 64.27 फीसदी और महिलाओं ने 69.04 फीसदी मतदान किया। अगर सचमुच महिलाएं मइया सम्मान योजना के 11 सौ रुपए से प्रभावित हुई हैं तो भाजपा के लिए चिंता की बात है। उसमें भी खास बात यह है कि हेमंत सोरेन सरकार ने नवंबर महीने का पैसा 13 नवंबर के मतदान से एक दिन पहले खाते में ट्रांसफर किया। भाजपा ने इसकी शिकायत चुनाव आयोग से की है। तभी भाजपा के नेता 43 सीटों पर नए सिरे से जीत हार का आकलन कर रहे हैं। हालांकि बिहार, झारखंड आदि राज्यों में आमतौर पर महिलाओं का वोट ज्यादा होता है क्योंकि पुरुष बाहर कामकाज के लिए गए होते हैं। लेकिन झारखंड से महिलाओं का भी पलायन होता है। तभी इस आंकड़े को नए सिरे से समझने की जरुरत है।