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एनडीए की क्या नियमित बैठक होगी?

Unified Pension Scheme

भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए पुनर्जीवित हो गया है। सरकार तो अब एनडीए की ही कही जा रही है, जो 10 साल से मोदी की कही जा रही थी। लेकिन क्या संगठन के स्तर पर भी एनडीए का महत्व बढ़ेगा? पिछले दिनों एनडीए की बैठक हुई, जिसमें भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ साथ कई केंद्रीय मंत्री और लगभग सभी सहयोगी पार्टियों के नेता शामिल हुए। जनता दल यू से लेकर तेलुगू देशम पार्टी और अपना दल से लेकर शिव सेना, एनसीपी, असम गण परिषद, लोजपा, हम जैसी तमाम पार्टियों के नेता शामिल हुए। उसके बाद ही यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या अब एनडीए की नियमित बैठक होगी? जानकार सूत्रों का कहना है कि हर महीने कम से कम एक बार एनडीए नेताओं के मिलने की बात हुई है लेकिन इसे कोई औपचारिक स्वरूप नहीं दिया गया है।

गौरतलब है कि चार जून को आए लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से ही तस्वीर बदल गई है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी के नेता अब एनडीए सरकार की बात कर रहे हैं। लेकिन जिस तरह से अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय एनडीए की संरचना थी, जिसमें किसी सहयोगी पार्टी का नेता संयोजक होता था, एक समन्वय समिति होती थी और सरकार चलाने के लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम होता था उस तरह की संरचना अभी नहीं बनाई जा रही है। कई सहयोगी पार्टियों के नेताओं ने इस तरह की संरचना बनाने की मांग की है। भाजपा की एक सहयोगी पार्टी के नेता का कहना है कि वक्फ बोर्ड के कानून में संशोधन का जो विधेयक सरकार ले आई और विपक्ष के विरोध के बाद जिस तरह से उसे संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी में भेजना पड़ा उससे भाजपा बैकफुट पर है। उसे लग रहा है कि एनडीए के घटक दलों के साथ बेहतर समन्वय के लिए कोई फॉर्मूला बनाने की जरुरत है।

तभी लाल किले से प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के तुरंत बाद सहयोगी दलों की बैठक बुलाई गई। असल में प्रधानमंत्री ने लाल किले से कह दिया कि देश को एक सेकुलर सिविल कोड यानी पंथनिरपेक्ष समान नागरिक संहिता की जरुरत है। इस पर विपक्षी पार्टियों ने नाराजगी जाहिर की है। जानकार सूत्रों का कहना है कि सरकार जल्दी ही समान नागरिक संहिता कानून लागू करने की दिशा में आगे बढ़ेगी। इसके लिए उसे सभी सहयोगी दलों के बिना शर्त समर्थन की जरुरत होगी। ध्यान रहे भाजपा के तीन कोर एजेंडे में से एकमात्र अनफिनिश्ड एजेंडा समान नागरिक कानून का ही है, जिसे मोदी ने सेकुलर बनाने का दावा किया है। बताया जा रहा है कि इसी पर सहमति बनाने के लिए एनडीए की बैठक हुई है। इससे पहले 10 साल में एकाध चुनावी मौकों को छोड़ दें तो कभी नीतिगत मसलों पर विचार के लिए एनडीए की बैठक नहीं हुई। अब यूसीसी के बहाने या बांग्लादेश के हालात और हिंदुओं की स्थिति पर विचार के लिए ही एनडीए की बैठक हुई है तो इससे सहयोगी पार्टियों के नेता खुश हैं। उनको लग रहा है कि उनका महत्व बढ़ेगा। बहरहाल, यह देखना दिलचस्प होगा कि हर महीने एनडीए की बैठक की बात कितनी सही निकलती है।

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