इंडियन नेशनल लोकदल के सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला का निधन हो गया है। उनके जीवनकाल में ही उनकी पार्टी बंट गई थी। उनके एक बेटे अजय सिंह चौटाला ने अपने बेटे दुष्यंत चौटाला के साथ अलग जननायक जनता पार्टी बना ली थी। 2019 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले यह पार्टी बनी थी और आश्चर्यजनक रूप से उसे 10 सीटें मिल गई थीं, जबकि ओमप्रकाश चौटाला की पार्टी इनेलो संभाल रहे अभय चौटाला को सिर्फ एक सीट मिली थी। 10 विधायकों के दम पर दुष्यंत चौटाला साढ़े चार साल तक राज्य के उप मुख्यमंत्री रहे। लेकिन जब भाजपा से तालमेल टूटा और वे अकेले लड़े तो जीरो पर सिमट गए। उनका वोट प्रतिशत भी तीन पर आ गया, जबकि इनेलो ने अपेक्षाकृत अच्छा प्रदर्शन किया।
उसके बाद से ही दोनों पार्टियों के विलय की बात चलने लगी थी। दोनों भाइयों अजय और अभय चौटाला को साथ लाने का प्रयास चल रहा था। कहा जा रहा था कि इनेलो की ओर से यही कहा गया था कि अजय और दुष्यंत चौटाला को अभय चौटाला का नेतृत्व स्वीकार करना होगा। ओमप्रकाश चौटाला के निधन के बाद इस प्रक्रिया के तेज होने की संभावना है। बताया जा रहा है कि पार्टी के पुराने नेता दोनों भाइयों को एक साथ लाने के प्रयास में लगे हैं। उनको लग रहा है कि लगातार तीन हार के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा का जादू खत्म हो गया है और भाजपा से मुकाबले के लिए जाट एक बार फिर चौटाला परिवार की ओर मुड़ सकते हैं। कहा जा रहा है कि अगर परिवार एक हो जाए तो इनेलो फिर से प्रदेश की बड़ी राजनीतिक ताकत के तौर पर उभर सकती है।