केंद्र सरकार ने भारतीय थल सेना के प्रमुख जनरल मनोज पांडे को एक महीने का सेवा विस्तार दिया है। वे 31 मई को रिटायर होने वाले थे लेकिन उससे पांच दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी ने उनका कार्यकाल एक महीना बढ़ा दिया। अब वे 30 जून को रिटायर होंगे। सरकार की ओर से कहा गया है कि लोकसभा चुनाव के बीच किसी भी वरिष्ठ अधिकारी के पद पर नई नियुक्ति नहीं की जा रही है इसलिए सेना प्रमुख की नियुक्ति भी टाल दी गई है।
लेकिन यह बात पूरी तरह से सही नहीं है। लोकसभा चुनाव की घोषणा होने और देश में आदर्श आचार संहिता लागू हो जाने के बाद केंद्र सरकार की नियुक्ति मामलों की कैबिनेट कमेटी ने 19 अप्रैल को ऐलान किया कि एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी देश के नए नौसेना प्रमुख होंगे और वे 30 अप्रैल को एडमिरल आर हरिकुमार की जगह लेंगे। सवाल है कि जब चुनाव के बीच में नौसेना प्रमुख की नियुक्ति हो सकती है तो सेना प्रमुख की नियुक्ति में क्या समस्या हो सकती है?
हालांकि जनरल मनोज पांडे का कार्यकाल एक महीना बढ़ाने से संभावित सेना प्रमुखों की स्थिति पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। अगर इस अवधि में कोई वरिष्ठ सैन्य अधिकारी 60 साल का होकर रिटायर हो रहा होता तो इस पर ज्यादा सवाल उठते। लेकिन जो संभावित सेना प्रमुख माने जा रहे हैं उनमें लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी और लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार सिंह का नाम प्रमुख है। ये दोनों मई में रिटायर नहीं हो रहे हैं। इनके अलावा तीन और नाम नियुक्ति समिति के पास भेजे गए हैं।
लेफ्टिनेंट जनरल एमवी शुचिंद्र कुमार, लेफ्टिनेंट जनरल एनएस राजा सुब्रमणी और लेफ्टिनेंट जनरल जेपी मैथ्यू ये तीनों भी अभी तुरंत रिटायर नहीं होने वाले हैं। इसके बावजूद सेना प्रमुख का कार्यकाल बढ़ाने पर सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि यह बहुत असमान्य बात है। आमतौर पर एक या दो महीने पहले ही नए सेना प्रमुख के नाम की घोषणा हो जाती है। इससे पहले आखिरी बार इंदिरा गांधी ने 1975 में तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल जीजी बेवूर का कार्यकाल बढ़ाया था और माना जाता है कि उन्होंने इसलिए कार्यकाल बढ़ाया था ताकि लेफ्टिनेंट जनरल पीएस भगत सेना प्रमुख नहीं बन सकें। उसके बाद करीब 50 साल में पहली बार ऐसा हुआ है कि सेना प्रमुख का कार्यकाल बढ़ाया गया है।
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