भारतीय जनता पार्टी ने ओडिशा में ऐतिहासिक जीत हासिल की है। लेकिन नतीजे आने के साथ ही कौन बनेगा मुख्यमंत्री का खेल शुरू हो गया है। संभलपुर से लोकसभा का चुनाव जीते धर्मेंद्र प्रधान को सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा है। लेकिन क्या भाजपा इस समय किसी लोकसभा सदस्य का इस्तीफा कराने की स्थिति में है? इसके बावजूद प्रधान सबसे मजबूत इसलिए है क्योंकि उन्होंने ओडिया अस्मिता का मुद्दा भाजपा के घोषणापत्र में शामिल कराया था और वीके पांडियन को टारगेट करके चुनाव लड़ने का आइडिया उनका था। पिछले पांच साल में ओडिशा में भाजपा के विस्तार में उनका बड़ा रोल रहा है।
धर्मेंद्र प्रधान के अलावा तीन और नामों की चर्चा है। बीजू जनता दल छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए बैजयंत पांडा इस बार केंद्रपाड़ा सीट से लोकसभा का चुनाव जीत गए हैं। उनको भी दावेदार माना जा रहा है। सबसे चौंकाने वाला नाम देश के नियंत्रक व महालेखापरीक्षक यानी सीएजी गिरीश मुर्मू का है। पिछले साल दिसंबर में छत्तीसगढ़ में चुनाव जीतने के बाद भाजपा ने पहली बार वहां आदिवासी मुख्यमंत्री बनाया। सो, क्या वह दूसरा आदिवासी सीएम बनाएगी? एक तीसरा नाम प्रतार षाड़ंगी का है, जिनको पहले नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार में मंत्री बनाया था। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा में जिन नेताओं के नाम चलते हैं उनको पद नहीं मिलता है। मध्य प्रदेश और राजस्थान की मिसाल देकर यह भी कहा जा रहा है कि मोदी किसी नए चेहरे को भी आगे कर सकते हैं।