भारतीय जनता पार्टी को अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष के बारे में फैसला करना है। राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा का विस्तारित कार्यकाल भी इस महीने में खत्म हो जाएगा। अब सिर्फ छह दिन बचे हैं। लेकिन अभी तक भाजपा ने नए अध्यक्ष के बारे में कोई फैसला नहीं किया है। बताया जा रहा है कि अगले छह महीने में चार राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं इसलिए नड्डा ही अध्यक्ष बने रह सकते हैं। यह संभव है कि किसी महासचिव को उनके साथ कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त कर दिया जाए। नड्डा के साथ भी ऐसा हुआ था। तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह को सेवा विस्तार दिया गया था कि जेपी नड्डा को उनके साथ कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया था और बाद में वे पूर्णकालिक अध्यक्ष बन गए थे। तभी यह भी कहा जा रहा है कि नड्डा के साथ जो कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त होगा बाद में वही पूर्णकालिक अध्यक्ष बनेगा।
फिलहाल ऐसा नहीं लग रहा है कि पार्टी नया अध्यक्ष चुनने जा रही है क्योंकि 18वीं लोकसभा का पहला सत्र शुरू हो गया है और तीन जुलाई के सत्र समाप्त होने से पहले संगठन के काम में शायद ही पार्टी उलझे। इसके अलावा भाजपा के संविधान में अध्यक्ष के चुनाव की बड़ी विस्तृत प्रक्रिया है। पहले राज्यों में संगठन के चुनाव होते हैं। कम से कम आधे राज्यों में संगठन का चुनाव हो जाने के बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होता है। यह काम भी अभी शुरू नहीं हुआ है। तभी इस बात की संभावना नहीं दिख रही है कि 30 जून तक नए अध्यक्ष का चुनाव हो जाए। लेकिन चूंकि भाजपा के संविधान में एक व्यक्ति, एक पद का सिद्धांत अपनाया गया है और उसका पालन भी किया जाता है। जेपी नड्डा केंद्रीय मंत्री बन गए हैं इसलिए सिद्धांततः वे अध्यक्ष नहीं रह सकते हैं। तभी उनके साथ कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त होगा, जो संगठन का कामकाज देखेगा।
भाजपा की ओर से यह नहीं बताया जा रहा है कि अगर ऐसा होता है तो क्या जेपी नड्डा को एक छोटा सेवा विस्तार मिलेगा? या कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त हो जाने के बाद अध्यक्ष को सेवा विस्तार देने की जरुरत नहीं होती है? यह तकनीकी सवाल है लेकिन ऐसा लग रहा है कि पार्टी के आला नेताओं को पता था कि चुनाव नतीजे आने के बाद जून में नए अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो पाएगी। इसलिए पहले ही इसका बंदोबस्त कर लिया गया था कि अगर अध्यक्ष को सेवा विस्तार देने की जरुरत होती है तो उसके लिए राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मंजूरी लेने की जरुरत नहीं होगी। इस साल लोकसभा चुनाव से पहले फरवरी में भाजपा का राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ था, जिसमें पार्टी ने यह सिद्धांत तय किया कि आपात स्थिति में अगर पार्टी अध्यक्ष का कार्यकाल बढ़ाना पढ़े तो वह फैसला पार्टी का संसदीय बोर्ड कर सकता है। राष्ट्रीय अधिवेशन में पार्टी के महासचिव सुनील बंसल ने यह प्रस्ताव पेश किया था, जिसे आम सहमति से मंजूर कर लिया गया था। इसलिए जेपी नड्डा को अगर छह महीने का सेवा विस्तार देना होगा तो वह फैसला संसदीय बोर्ड की बैठक में हो जाएगा।