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महाकुंभ से योगी को क्या हासिल होगा?

Maha Kumbh 2025Image Source: ANI

Maha Kumbh 2025: गंगा, यमुना और विलुप्त सरस्वती के संगम पर पिछला महाकुंभ 2013 में हुआ था। तब संगम के शहर का नाम इलाहाबाद ही था। अब यह प्रयागराज है। पिछले महाकुंभ से नरेंद्र मोदी का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए निकला था।

उसके बाद ही मोदी के नाम की अखिल भारतीय चर्चा शुरू हुई और गोवा में भाजपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में तत्कालीन अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने मोदी को भाजपा के चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाने का ऐलान किया। इसे लेकर उस समय कैसी राजनीति हुई वह अलग बात है।

लेकिन उससे पहले महाकुंभ में जो हुआ उसने मोदी के प्रधानमंत्री बनने का रास्ता बनाया। उसके 12 साल बाद कहा जा रहा है कि इस महाकुंभ से वैसे ही योगी आदित्यनाथ का नाम निकलेगा और 2029 में उनके प्रधानमंत्री बनने का रास्ता साफ होगा।

लेकिन क्या सचमुच ऐसा हो सकता है? योगी आदित्यनाथ 22 जनवरी को अपने मंत्रिमंडल की बैठक महाकुंभ में कर रहे हैं लेकिन उससे आगे कुछ होने की संभावना अभी नहीं दिख रही है।

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यह मुश्किल लग रहा है कि महाकुंभ में साधु, संत और शंकराचार्य या महामंडलेश्वर कोई सम्मेलन करके योगी आदित्यनाथ को देश के प्रधानमंत्री के तौर पर प्रस्तावित करें।

पिछली बार ऐसा हुआ था तो उसके कई कारण थे। पहला कारण तो यह था कि केंद्र में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार थी, जिसके खिलाफ देश भर में नाराजगी बन चुकी थी।

दूसरा कारण यह था कि अगले साल लोकसभा के चुनाव होने वाले थे और राजनीतिक हलके में मोदी के नाम की चर्चा शुरू हो गई थी।

तीसरा कारण यह था कि 2009 में लालकृष्ण आडवाणी के नाम पर चुनाव लड़ कर भाजपा हार चुकी थी और मोदी की तरह कोई दूसरा लोकप्रिय और सक्षम चेहरा नहीं दिख रहा था।

चौथा कारण यह था कि संघ और विश्व हिंदू परिषद बेहद मजबूत संगठन थे और अशोक सिंघल विश्व हिंदू परिषद का नेतृत्व कर रहे थे।

पांचवां कारण यह था कि साधु, संतों के प्रस्ताव को रोकने वाला कोई नहीं था।(Maha Kumbh 2025)

शोक सिंघल जैसा कोई नेता भी नहीं

इस बार नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री रहते साधु, संत, शंकराचार्य या महामंडलेश्वर किसी और का नाम लेंगे इसमें संदेह है।(Maha Kumbh 2025)

ऊपर से अशोक सिंघल जैसा कोई नेता भी नहीं है। 12 साल पहले 2013 के महाकुंभ में चार फरवरी को अशोक सिंघल ने ही मोदी का नाम लिया था और कहा था कि वे हिंदुओं के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं।

इसके दो दिन के बाद ही महाकुंभ में धर्म संसद हुई, जिसमें साधु, संतों ने मोदी के नाम का ऐलान किया। एक रिपोर्ट के मुताबिक छह फरवरी 2013 को हुई धर्म संसद में साधु, संतों ने चिमटा बजा कर मोदी के नाम का जयकारा लगाया था।

इसके अगले दिन यानी सात फरवरी को भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष राजनाथ सिंह महाकुंभ में पहुंचे थे और स्नान करने के साथ साधु, संतों से मुलाकात की थी।

तब धर्म संसद में संघ प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद थे। उन्होंने राजनीतिक फैसले से अपने को अलग बताया लेकिन साथ ही मोदी को अपना मित्र कहा था।

अब सवाल है कि योगी के लिए ऐसी पहल कौन कर सकता है? सिंघल जैसा कोई नेता नहीं है और भागवत कोई पहल करेंगे नहीं।(Maha Kumbh 2025)

उस समय बाबा रामदेव भी धर्म संसद में थे, जिन्होंने मोदी का नाम तय कराने में भूमिका निभाई थी। कम से कम दो शंकराचार्य, जगदगुरू जयेंद्र सरस्वती और जगदगुरू वासुदेवानंद ने मोदी के नाम का समर्थन किया था। ऐसी कोई पहल इस बार योगी के लिए होती नहीं दिख रही है।

By NI Political Desk

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