Vinod Tawde: यह लाख टके का सवाल है कि भाजपा के महासचिव विनोद तावड़े का अब क्या होगा? इसके साथ ही यह भी सवाल है कि क्या वे किसी साजिश का शिकार हुए हैं?
शिव सेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने साजिश की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि उनके पास 18 लोगों की सूची थी, जो पैसे बांट रहे थे। उस सूची में तावड़े का नाम नहीं था।
तभी राउत ने आश्चर्य जताया कि विनोद तावड़े जैसा बड़ा नेता कैसे खुद पैसे बांटने चला गया? आमतौर पर यह काम दूसरे लोग करते हैं।
उम्मीदवार भी यह काम अपने हाथ से नहीं करता है क्योंकि इन दिनों हर व्यक्ति के हाथ में मोबाइल है। कोई भी वीडियो बना कर सोशल मीडिया में वायरल कर सकता है। तभी तावड़े खुद पैसा बांटने गए यह दूर की कौड़ी लगती है।
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तभी यह सवाल उठ रहा है कि क्या
तभी यह सवाल उठ रहा है कि क्या प्रदेश भाजपा की ओर से किसी ने उनको खासतौर से उस इलाके में जाने और चुनाव प्रबंधन के लिए कहा था? (Vinod Tawde)
गौरतलब है कि वसई, विरार का इलाका पहले भाई ठाकुर का इलाका माना जाता था और फिर उनके बेटे हितेंद्र ठाकुर ने इस इलाके में अपना दबदबा बनाया। उनकी बहुजन विकास अघाड़ी के तीन विधायक इसी इलाके से हैं। उनके बेटे क्षितिज ठाकुर भी विधायक हैं। वसई, विरार, नालासोपारा, भोइसर आदि के इलाके में सबको पता होता है कि जीत हितेंद्र ठाकुर की पार्टी की होगी।
आमतौर पर उनकी पार्टी सरकार के साथ रहती है लेकिन इस बार ऐसा लग रहा था कि उनकी पार्टी विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी के साथ जा रही है।
दूसरी ओर विनोद तावड़े महाराष्ट्र की राजनीति में अपना असर दिखाने की कोशिश में लगे थे। तभी ऐसा लग रहा है कि वे अति उत्साह में उस इलाके में चले गए। उनको लगा होगा कि वे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का वरदहस्त उनके ऊपर है तो उन्हें कोई कुछ नहीं कर सकता है।
यह खबर कैसे लीक हुई?
अब दूसरा सवाल है कि जब वे वहां गए तो यह खबर कैसे लीक हुई? कैसे हितेंद्र ठाकुर और उनके बेटे क्षितिज ठाकुर को इसकी जानकारी मिली?
हितेंद्र ठाकुर ने बहुत साफ शब्दों में कहा है कि भाजपा के उनके दोस्तों ने इसकी जानकारी दी। फिर सवाल है कि भाजपा के कितने नेताओं के पास इस बात की जानकारी थी कि विनोद तावड़े विरार जा रहे हैं और किस होटल में पार्टी के नेताओं के साथ मीटिंग करने वाले हैं? (Vinod Tawde)
साजिश थ्योरी बताने वाले सीधे उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस की ओर इशारा कर रहे हैं। क्योंकि वे गृह मंत्री हैं और उनके पास पार्टी के साथ साथ सारी खुफिया सूचनाएं भी होती हैं। यह भी कहा जा रहा है कि हितेंद्र ठाकुर के साथ उनके बहुत अच्छे संबंध रहे हैं।
बहरहाल, अब तावड़े के सामने मुश्किल
बहरहाल, अब तावड़े के सामने मुश्किल यह है कि वे इस झटके से कैसे उबरेंगे और पार्टी का आला नेतृत्व क्या पहले की तरह भरोसा बनाए रखेगा? ये सवाल इसलिए हैं क्योंकि वे अब लगातार मीडिया के निशाने पर रहेंगे।
वे बिहार के प्रभारी हैं, जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। भाजपा का इतिहास ऐसा है कि एक बार पैसे लेते हुए पार्टी के अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण पकड़े गए तो वे भी बियाबान में चले गए और एक बार दिलीप सिंह जूदेव पकड़े गए तो वे भी बियाबान में चले गए।
इस बार फर्क यह है कि तावड़े पैसे लेते हुए नहीं पकड़े गए हैं, बल्कि उन पर पैसे बांटने का आरोप है। अगर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने फड़नवीस पर चेक एंड बैलेंस के लिए उनको आगे बढ़ाया है तो उनको आगे बढ़ाना जारी रहेगा।