अरविंद केजरीवाल तो दो जून को सरेंडर कर देंगे और तिहाड़ जेल चले जाएंगे लेकिन उनकी पार्टी का क्या होगा? उनके साथ साथ प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने उनकी पार्टी को भी आरोपी बनाया है। दिल्ली की शराब नीति में हुए कथित घोटाले से जुड़े धन शोधन के मामले में पार्टी भी आरोपी बनाई गई है। यह पहली बार है, जब किसी पार्टी को आरोपी बनाया गया है। दुनिया के किसी भी देश में इसकी मिसाल नहीं है कि पार्टी नेताओं के कथित भ्रष्टाचार के लिए पार्टी को आरोपी बनाया जाए। तभी किसी को समझ में नहीं आ रहा है कि आगे क्या होगा। व्यक्तियों के मामले में ईडी जो कार्रवाई करती है वह तो सबको पता है लेकिन पार्टी के ऊपर उन्हीं कानूनों को कैसे लागू किया जाएगा इसका अंदाजा किसी को नहीं है।
तभी चौतरफा यह सवाल है कि आम आदमी पार्टी का क्या होगा? पार्टी कोई मूर्त या ठोस चीज नहीं होती है। तभी इसके खिलाफ कैसे कार्रवाई की जाएगी? क्या पार्टी के सभी पदाधिकारियों पर कार्रवाई होगी या सिर्फ पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष ही जिम्मेदार माना जाएगा? आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल हैं और वे अलग से आरोपी बनाए गए हैं। तभी पार्टी के दूसरे पदाधिकारियों और संगठन से जुड़े लोगों के लिए भी पार्टी को आरोपी बनाया जाना चिंता की बात हो सकती है। राष्ट्रीय पदाधिकारियों के साथ प्रदेशों के पदाधिकारी भी चिंता में बताए जा रहे हैं। खासकर गोवा और गुजरात के पदाधिकारी, जहां के चुनाव में कथित घोटाले की राशि खर्च किए जाने के आरोप लग रहे हैं। गोवा के प्रदेश संयोजक अमित पालकर को बुला कर ईडी पूछताछ भी कर चुकी है। सो, अब पार्टी के पदाधिकारी इस चिंता में हैं कि कब ईडी उन्हें बुलाएगी और क्या पूछेगी और क्या वे भी गिरफ्तार हो सकते हैं?
निजी मामलों में यानी ईडी जब किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करती है तो उसकी संपत्ति जब्त करती है और खाते सील करती है। क्या आम आदमी पार्टी के साथ भी ऐसा होगा? क्या उसके खाते सील कर दिए जाएंगे? अगर ऐसा हुआ तो पार्टी का कामकाज कैसे चलेगा? क्या पार्टी के कार्यालयों पर ईडी का ताला लग जाएगा? ईडी आरोपियों की संपत्ति जब्त करके कथित घोटाले की राशि वसूलती है। क्या वह आम आदमी पार्टी के साथ भी ऐसा कर सकती है कि उसकी संपत्ति जब्त करके शराब नीति में हुए कथित घोटाले की रकम वसूल करे?
ध्यान रहे आम आदमी पार्टी एक राष्ट्रीय पार्टी है। तभी उसके राष्ट्रीय पार्टी के दर्जे को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। हालांकि चुनाव आयोग के सूत्रों ने कहा है कि उसके इस दर्जे पर कोई खतरा नहीं है क्योंकि इसका फैसला पार्टियों के चुनावी प्रदर्शन के आधार पर होता है। इसके अलावा आयोग ने यह भी कहा है कि उसे किसी पार्टी का चुनाव चिन्ह या नाम जब्त करने का अधिकार नहीं है। लेकिन सोचें, अगर आम आदमी पार्टी शराब नीति घोटाले में दोषी हो जाए तो क्या होगा? क्या तब पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह जब्त नहीं हो जाएगा? तभी केजरीवाल के लिए जरूरी हो गया है कि वे पार्टी का नाम आरोपपत्र से हटवाएं। गर्मी की छुट्टियों के बाद सुप्रीम कोर्ट में जब इसकी सुनवाई होगी तो उनके वकील इसका प्रयास करेंगे?