कांग्रेस पार्टी का मुख्यालय चार दशक के बाद बदल रहा है। बरसों के इंतजार के बाद 9ए, कोटला रोड पर कांग्रेस मुख्यालय का उद्घाटन होने जा रहा है। सोचें, 2009 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उस समय की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसकी नींव रखी थी। अब 16 साल के बाद कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे इसका उद्घाटन करेंगे। इस इमारत को लेकर कई कहानियां कही जाती रही हैं और भाजपा मुख्यालय के निर्माण से इसकी तुलना की जाती है। दोनों पार्टियों का मुख्यालय अब एक ही रोड पर है लेकिन कांग्रेस ने अपने मुख्यालय का पता दीनदयाल उपाध्याय रोड नहीं रखा है, बल्कि दूसरी तरह के कोटला रोड का रखा है। सवाल है कि जब कांग्रेस का मुख्यालय कोटला रोड पर शिफ्ट हो जाएगा तब 24, अकबर रोड का क्या होगा? कांग्रेस पार्टी क्या 24, अकबर रोड अपने पास रख पाएगी?
यह सवाल इसलिए है क्योंकि भाजपा का मुख्यालय जब 11, अशोक रोड से छह, दीनदयाल उपाध्याय रोड पर शिफ्ट हुआ तो भाजपा ने 11, अशोक रोड अपने ही पास रखा। उसके साथ लगा बंगला, जो कभी अरूण जेटल को आवंटित हुआ करता था और वहां से भी पार्टी के ही कार्यालय चलते थे वह भी भाजपा के पास ही रहा। अब भी 11 और नौ नंबर बंगले से भाजपा का बैक ऑफिस काम करता है। वहां रिसर्च से जुड़े लोग बैठते हैं। क्या इसी तरह कांग्रेस का कार्यालय भी उसके पास रह सकता है? भले वहां पार्टी मुख्यालय न रहे लेकिन किसी और काम के लिए पार्टी को बंगला आवंटित हो जाए या किसी नेता के नाम पर उसका आवंटन हो जाए और वहां से पार्टी का कुछ कामकाज हो? यह सवाल पांच, रायसीना रोड बंगले को लेकर भी है, जहां कांग्रेस के यूथ और स्टूडेंट विंग का मुख्यालय है। एनएसयूआई और यूथ कांग्रेस दोनों का कार्यालय भी कोटला रोड मुख्यालय में शिफ्ट हो जाएगा। तब क्या यह बंगला कांग्रेस अपने पास रख पाएगी? यह सरकार के सद्भाव पर निर्भर करेगा कि कांग्रेस के पास उसके दोनों बंगले बचते हैं या सरकार वापस ले लेती है।