जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने से पहले इस बात का सस्पेंस बन गया है कि विधानसभा त्रिशंकु होगा या किसी पार्टी या गठबंधन को बहुमत मिल जाएगा? अकेले किसी पार्टी को बहुमत मिलने की संभावना नहीं है क्योंकि कोई भी पार्टी इतनी सीटें अकेले नहीं लड़ रही है कि वह 46 सीट जीत जाए। भाजपा को जम्मू क्षेत्र की 43 और कश्मीर की 19 सीटों पर लड़ी है। इसमें भी कश्मीर घाटी में उसे पहले की तरह कोई सीट मिलने की संभावना नहीं है। उसकी असली लड़ाई 43 सीटों की ही है। बहरहाल, एक दूसरा सस्पेंस यह है कि बहुमत का आंकड़ा 46 का होगा या 48 सीट का? गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर विधानसभा 90 सदस्यों की है लेकिन कुछ दिन पहले हुए संशोधन के जरिए उप राज्यपाल को पांच सदस्यों को मनोनीत करने का अधिकार भी दिया गया है।
अगर पांच मनोनीत सदस्य मतदान में हिस्सा लेते हैं तो विधानसभा 95 सदस्यों की हो जाएगी और बहुमत का आंकड़ा 48 का हो जाएगा। राजनीति और कानून व संविधान के जानकार इस पर माथापच्ची कर रहे हैं कि पांच मनोनीत सदस्यों की क्या स्थिति रहने वाली है। उनको मतदान का अधिकार मिलता है या नहीं। उप राज्यपाल को दो महिला सदस्यों के मनोनयन का अधिकार है और साथ ही तीन विस्थापितों का मनोनयन भी वे कर सकते हैं। जाहिर है यह मनोनयन किसी वस्तुनिष्ठ आधार पर नहीं होगा। अगर मनोनीत सदस्यों को वोट डालने का अधिकार मिलता है तो लगभग सौ फीसदी संभावना है कि वे भाजपा के पक्ष में वोट करेंगे। लेकिन भाजपा इस कार्ड का भी इस्तेमाल तभी कर सकती है, जब उसके और उसका समर्थन करने वाले निर्दलीय व छोटी पार्टियों के विधायकों की संख्या 40 से ऊपर जाए। जम्मू कश्मीर के नतीजों से पहले एक्जिट पोल कुछ भी कहें एक तीसरा सस्पेंस इस बात का भी है कि सबसे बड़ी पार्टी कौन होगा?