Punjab government: पंजाब और हरियाणा के खनौरी और शंभू बॉर्डर पर 10 महीने से ज्यादा समय से किसान आंदोलन कर रहे हैं। एक महीने से ज्यादा समय से खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल आमरण अनशन पर हैं।
महीनों से किसानो के मसले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। हर सुनवाई में सर्वोच्च अदालत की बेंच पंजाब सरकार को फटकार लगा रही है और राज्य के मुख्य सचिव व पुलिस महानिदेशक के खिलाफ अवमानना का मामला लंबित है।
इन सब बातों से ऐसा लग रहा है, जैसे किसान पंजाब सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं या किसानों के आंदोलन में पंजाब सरकार को कोई फैसला करना है। हकीकत यह है कि इस पूरे मामले से पंजाब सरकार का कोई लेना देना नहीं है।
also read: निजी डेटा निजी रहे
पंजाब सरकार हर सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट में सिर्फ इसलिए फटकार सुन रही है कि उसके अधिकारी जगजीत सिंह डल्लेवाल को मेडिकल सहायता क्यों नहीं उपलब्ध करा पा रहे हैं या उनको खनौरी बॉर्डर पर ही बने अस्थायी अस्पताल में क्यों नहीं भर्ती करा रहे हैं।
सोचें, डल्लेवाल किसी हाल में अनशन की जगह छोड़ने को तैयार नहीं हैं। वे मेडिकल सहायता नहीं ले रहे हैं और मामला इतना नाजुक है कि अगर पुलिस और प्रशासन ने जोर जबरदस्ती की तो किसान भड़क सकते हैं। अब तक जो आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है, वह हिंसक हो सकता है।
इस पूरे मामले में सबसे ज्यादा हैरान करने वाला और दिलचस्प मामला यह है कि किसान केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं।
केंद्र सरकार ने तीन केंद्रीय कानूनों के खिलाफ एक साल तक चले किसान आंदोलन को समाप्त कराने के समय 2021 में जो वादे किए थे उनको पूरा करने की मांग लेकर किसान आंदोलन कर रहे हैं।
फिर भी केंद्र सरकार को कोई कुछ नहीं कह रहा है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से भी केंद्र सरकार को कोई निर्देश नहीं दिया जा रहा है।
किसानों से बातचीत शुरू करने का मामला जब सुप्रीम कोर्ट में आया तो बेंच ने केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल से उनका स्टैंड पूछा तो उन्होंने कह दिया कि केंद्र की तरफ से उनको इस मामले में कोई निर्देश नहीं मिला है। इसके बाद अदालत ने उनसे कुछ नहीं कहा।
हरियाणा को बॉर्डर खोलने का निर्देश
किसान आंदोलन के मामले में केंद्र सरकार के बाद दूसरा पक्ष हरियाणा सरकार है, जिसने संकल्प किया है कि वह किसानों को अपने राज्य की सीमा से गुजर कर दिल्ली नहीं जाने देगी।
सुप्रीम कोर्ट में शुरुआती सुनवाई इसी बात को लेकर है कि शंभू और खनौरी बॉर्डर खोला जाए। यह बॉर्डर हरियाणा सरकार ने सील किया है और ऐसा सील किया है, जैसा पाकिस्तान, चीन या बांग्लादेश से लगती सीमा भी कहीं नहीं सील की गई है।
हरियाणा पुलिस की मर्जी के बगैर परिंदा भी पर नहीं मार सकता है। किसान जब दिल्ली जाने के लिए मार्च करते हैं तो हरियाणा पुलिस उनसे परमिशन मांगती है।
सो, किसान आंदोलन में किसानों की मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की कानूनी गारंटी देने सहित 13 और विषयों पर है, जो केंद्र सरकार से है और दूसरी बात बॉर्डर खोलने की है, जिसका फैसला हरियाणा को करना है।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का फोकस पंजाब सरकार पर है, जिसके हाथ में कुछ नहीं है। सर्वोच्च अदालत में हर तीसरे, चौथे दिन सुनवाई हो रही है और एक ही बातें दोहराई जा रही हैं। जरुरत इस बात की है कि केंद्र को बात करने और हरियाणा को बॉर्डर खोलने का निर्देश दिया जाए।