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केजरीवाल की क्या है राजनीति?

अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के साथ सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस की नेशनल एलायंस कमेटी की बैठक हुई है। कांग्रेस ने आप के प्रति सद्भाव भी दिखाया है तभी उसने चंडीगढ़ के मेयर के चुनाव में आप उम्मीदवार का समर्थन किया। ध्यान रहे इससे पहले के दो चुनावों में कांग्रेस के पार्षदों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया था। इस बार कांग्रेस ने आप से तालमेल करके वोटिंग में हिस्सा लिया। लेकिन दूसरी ओर केजरीवाल लगातार कांग्रेस विरोधी या कांग्रेस से दूरी दिखाने वाली राजनीति कर रहे हैं। उनकी पार्टी ऐसे राज्यों में उम्मीदवार घोषित कर रही है, जहां कांग्रेस अकेले लड़ने वाली है। इसके अलावा केजरीवाल ने केरल सरकार की ओर से दिल्ली के जंतर मंतर पर आयोजित धरने में शामिल होकर भी एक संकेत दिया है।

गौरतलब है कि गुरुवार को केरल सरकार ने केंद्र के ऊपर राज्य के बकाए को लेकर जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया था। मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन के साथ साथ पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी और दूसरे कम्युनिस्ट नेता इसमें शामिल हुए थे। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने पूरे लाव लश्कर के साथ इस प्रदर्शन में शामिल हुए। उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को भी बुला लिया था। उनको पता है कि केरल में कांग्रेस पार्टी की लड़ाई लेफ्ट मोर्चे के साथ है और उनको तालमेल लेफ्ट के साथ नहीं, बल्कि कांग्रेस के साथ करना है। फिर भी वे लेफ्ट मोर्चे के प्रदर्शन में शामिल हुए। उससे एक दिन पहले बुधवार को कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने इसी मुद्दे पर जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया था लेकिन केजरीवाल उसमें शामिल नहीं हुए थे। एक ही मुद्दे पर केंद्र साथ हुए दो प्रदर्शनों में से एक में शामिल होना और दूसरे से दूरी रखना केजरीवाल की गड़बड़ राजनीति का संकेत है।

इस बीच उनकी पार्टी के चुनाव रणनीतिकार और राज्यसभा सांसद संदीप पाठक ने असम की तीन लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। उन्होंने राजधानी गुवाहाटी के साथ साथ डिब्रूगढ़ और सोनितपुर में उम्मीदवार घोषित करते हुए कहा कि वे उम्मीद कर रहे हैं कि कांग्रेस इन तीन सीटों पर उम्मीदवार नहीं घोषित करेगी और आप के लिए सीट छोड़ देगी। सोचें, राज्य  में आम आदमी पार्टी का शून्य आधार है लेकिन वहां पार्टी को तीन सीटें चाहिएं! इसी तरह गुजरात में केजरीवाल ने खुद भरूच सीट पर आदिवासी नेता चैतार वसावा को उम्मीदवार घोषित किया है। दिल्ली और पंजाब में जहां आधार है वहां तालमेल की बात नहीं हो रही है लेकिन दूसरे राज्यों में एकतरफा उम्मीदवारों की घोषणा हो रही है।

केजरीवाल की इस राजनीति ने कांग्रेस को धर्मसंकट में डाला है। वे गुजरात में और सीटें मांग रहे है और हरियाणा की पांच सीटों पर दावा कर रहे हैं। उन्हें गोवा में भी सीट चाहिए। ऐसा लग रहा है कि असम की उनकी राजनीति के पीछे ममता बनर्जी का भी हाथ होगा। वे भी असम में कांग्रेस से सीटें मांग रही हैं। यह भी सबको पता है कि किस तरह से केजरीवाल और ममता बनर्जी ने मिल कर विपक्षी गठबंधन इंडिया का संयोजक नियुक्त करने के मामले में फच्चर डाला था और मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम प्रधानमंत्री पद के दावेदार के लिए प्रस्तावित कर दिया था। तभी कांग्रेस के नेता केजरीवाल की राजनीति को डिकोड करने में लगे हैं। उनको लग रहा है कि केजरीवाल भी परदे के पीछे से भाजपा को फायदा पहुंचाने वाली राजनीति कर रहे हैं।

By NI Political Desk

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