पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के व्यक्तित्व की दो बातें राजनीति में उनको दूसरे अनेक नेताओं से अलग बनाती है। पहली बात है उनका लड़ाकूपन या जुझारूपन और दूसरी बात है ईमानदार छवि। भारतीय जनता पार्टी उनकी इन दोनों छवियों को भंग करने में लगी है। एक तरफ उनके राज को हिंसक शासन का पर्याय बनाया जा रहा है तो दूसरी ओर ईमानदार छवि को खत्म करने का अभियान चल रहा है। तभी एक योजना के तहत एक के बाद एक अलग अलग घोटाले निकाले जा रहे हैं और उनमें तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। यह साबित किया जा रहा है कि ममता की सरकार और उनके नेतृत्व वाली पार्टी चौतरफा घोटालों और भ्रष्टाचार से घिरी है।
ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी रूजिका बनर्जी को कोयला तस्करी के मामले में उलझाया गया है। बार बार इस मामले में अभिषेक की पत्नी और उनके ससुराल वालों से पूछताछ हो रही है। इसी तरह शिक्षक भर्ती घोटाले में पार्थो चटर्जी को गिरफ्तार किया गया है और पार्टी के कई अन्य नेताओं से पूछताछ की जा रही है। इसके बाद कोरोना के समय का कथित राशन घोटाला, जिसे पीडीसी घोटाला कहा जा रहा है वह खुला है और उसमें केंद्रीय एजेंसियां ममता की पार्टी के नेताओं के यहां छापे मार रही है। शंकर अध्य और शेख शाहजहां के यहां इसी सिलसिले में छापा पड़ा था, जहां ईडी की टीम के ऊपर हमला हुआ। चौथा घोटाला मवेशी तस्करी का निकाला गया है, जिसमें तृणमूल के बड़े नेता अणुब्रत मंडल को गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा नारदा स्टिंग और शारदा पोंजी स्कीम के घोटाले में फंसे कई नेताओं की जांच का मामला अलग है।