bjp west bengal : पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं और उससे पहले भारतीय जनता पार्टी के चुनाव अभियान का नेतृत्व करने के लिए एक चेहरे की तलाश फिर शुरू हो गई है।
पिछले कई बरसों से भाजपा बंगाल के लिए एक ऐसे चेहरे की तलाश कर रही है, जिसके दम पर वह ममता बनर्जी को चुनौती दे सके। भाजपा को यह बात समझ में आ गई है कि ममता बनर्जी बांग्ला अस्मिता के जिस दांव पर चुनाव लड़ती हैं उसकी काट अभी उसके पास नहीं है।
पार्टी के अपने जो पुराने नेता हैं, जिनमें राहुल सिन्हा से लेकर दिलीप घोष और सुकांत मजुमदार को भाजपा आजमा चुकी और अब तृणमूल कांग्रेस से आए सुवेंदु अधिकारी को आजमा रही है। (bjp west bengal)
लेकिन अधिकारी पिछले चुनाव में बहुत कारगर साबित नहीं हुए थे। उन्होंने नंदीग्राम में जरूर ममता बनर्जी को दो हजार वोट से चुनाव हरा दिया था लेकिन बंगाल में वे तृणमूल की आंधी नहीं रोक पाए। ममता की पार्टी पहले से ज्यादा सीट लेकर चुनाव जीती।
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बंगाल में भाजपा का चमत्कारी चेहरा (bjp west bengal)
पिछली बार का चुनाव भाजपा के लिए प्रयोग की तरह था। उसने 77 सीटें जीती और राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी बन गई। पिछले करीब दस साल में भाजपा ने यह स्थापित किया है कि एकाध अपवाद को छोड़ दें तो एक बार मुख्य विपक्षी पार्टी बनने के बाद वह सत्ता में आती है।
अपवाद के लिए एकाध राज्य हैं, जहां वह एक से ज्यादा बार मुख्य विपक्षी पार्टी बनी है। पश्चिम बंगाल में वह पहली बार 2021 में मुख्य विपक्षी पार्टी बनी। इस बार सत्ता में आने के लिए लड़ेगी। (bjp west bengal)
पिछली बार भाजपा ने मिथुन चक्रवर्ती के चेहरे का प्रयोग किया था। मुंबई में संघ प्रमुख मोहन भागवत उनसे मिले थे और उसके बाद वे भाजपा में शामिल हुए लेकिन कामयाबी नहीं मिली।
पिछले चुनाव से पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली के घर गए थे। कहा जा रहा था कि गांगुली को चेहरा बनाने की कोशिश हो रही है। (bjp west bengal)
लेकिन वे राजी नहीं हुए। इसके बाद वे बीसीसीआई के चेयरमैन के पद से भी हट गए। अब फिर भाजपा किसी ऐसे चमत्कारिक चेहरे की तलाश में है, जिसके दम पर ममता बनर्जी को चुनौती दी जा सके।