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अधीर रंजन चौधरी की छुट्टी हो सकती है

पश्चिम बंगाल के कांग्रेस के दिग्गज नेता अधीर रंजन चौधरी पहली बार लोकसभा का चुनाव हारे हैं और अब उनकी प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर भी खतरा मंडरा रहा है। तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनाव से पहले संकल्प किया था कि वे अधीर रंजन को हरवाएंगी और उनका संकल्प पूरा हो गया। अब कांग्रेस पार्टी किसी तरह से ममता के साथ तालमेल करना चाहती है। संसद के अंदर तृणमूल कांग्रेस के साथ समन्वय के लिए कांग्रेस के बड़े नेता काम कर रहे हैं। कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक पी चिदंबरम खुद इसके लिए पश्चिम बंगाल के दौरे पर गए थे। वहां चिदंबरम ने राज्य सरकार के सचिवालय नबन्ना में जाकर ममता बनर्जी से मुलाकात की। बंद कमरे में दोनों के बीच आधे घंटे की बातचीत हुई है।

बताया जा रहा है कि इस बैठक में संसद की रणनीति बनी यानी फ्लोर कोऑर्डिनेशन के बारे में बात हुई। लेकिन यह पूरी तरह से सही नहीं है क्योंकि संसदीय रणनीति बनाने के लिए चिदंबरम को कोलकाता जाने की जरुरत नहीं थी। वह काम तो कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के संसद भवन में स्थित चैंबर में हो जाता है।

सुदीप बंदोपाध्याय और डेरेक ओ ब्रायन यह काम कर लेते हैं। चिदंबरम कोलकाता गए इसका मतलब है कि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच स्थायी तालमेल की बात हो रही है। इसमें अधीर रंजन चौधरी का प्रदेश अध्यक्ष पद से हटना एक बड़ी शर्त हो सकती है। सबको पता है कि ममता बनर्जी और अधीर रंजन चौधरी का विवाद नब्बे के दशक का है, जब दोनों कांग्रेस में थे। सो, अब यह देखना दिलचस्प है कि कांग्रेस क्या करती है? पूरे देश में पार्टी और संगठन को पुनर्जीवित करने के अभियान पर निकले राहुल गांधी बंगाल के सबसे मजबूत कांग्रेस नेता को बनाए रखते हैं या ममता के साथ तालमेल के लिए उनकी बली चढ़ाते हैं।

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