राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

एनडीए के सहयोगियों से वक्फ बोर्ड की उम्मीद

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण के वर्गीकरण के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भाजपा की कुछ सहयोगी पार्टियों ने अलग रुख लिया और इसका विऱोध किया। इससे वक्फ बोर्ड को लग रहा है कि वक्फ बोर्ड के कानून में बदलाव के लिए लाए जा रहे विधेयक के मसले पर भी सहयोगी पार्टियां मुखर हो सकती हैं और उसकी मदद कर सकती हैं। तभी वक्फ बोर्ड की ओर से एनडीए की सहयोगी पार्टियों से अपील की गई है कि वो इस विधेयक को रुकवाने में मदद करें। हालांकि कोई सहयोगी पार्टी इस मसले पर वक्फ बोर्ड का साथ देगी इसमें संदेह है।

असल में वक्फ बोर्ड को इसलिए उम्मीद बंधी क्योंकि बिहार की कम से कम दो सहयोगी पार्टियां जनता दल यू और चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी मुस्लिम राजनीति को भी साधने का प्रयास करते हैं। इसी तरह कर्नाटक में जेडीएस और आंध्र प्रदेश में तेलुगू देशम पार्टी को मुस्लिम वोट की उम्मीद रहती है। जेडीएस तो विधानसभा चुनाव में साफ ही इसलिए हुई क्योंकि मुस्लिम मतदाताओं ने साथ छोड़ दिया था। टीडीपी को मुस्लिम वोट की जरुरत इसलिए होती है ताकि वह दिल्ली की पार्टियों से स्वतंत्र होकर अपनी राजनीति कर सके। राज्य के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के बेटे नारा लोकेश ने मुस्लिम आरक्षण का भी समर्थन किया था। परंतु इन चारों पार्टियों में से कोई भी खुल कर वक्फ बोर्ड कानून में बदलाव के विधेयक का विरोध नहीं करेगा। इसका कारण यह है कि यह विधेयक भाजपा के एजेंडे में लंबे समय से था और लोकसभा चुनाव के जैसे नतीजे आए हैं उसमें भाजपा को अपने कोर वोट को एकजुट रखने के लिए इस तरह के कदम उठाने की जरुरत है। इसलिए सहयोगी टकराव नहीं बढ़ाना चाहेंगे।

Tags :

By NI Political Desk

Get insights from the Nayaindia Political Desk, offering in-depth analysis, updates, and breaking news on Indian politics. From government policies to election coverage, we keep you informed on key political developments shaping the nation.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *