बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती लगातार छठी बार अपनी पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनी गई हैं। इसके साथ ही उनको अपने कार्यकर्ताओं की सुध भी आई है। कोई 10 साल के बाद उनको अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं की याद आई है। 2014 के लोकसभा चुनाव में जब बसपा को एक भी सीट नहीं मिली थी तब मायावती बहुत आहत हुई थीं। उसके बाद उन्होंने कार्यकर्ताओं से संवाद बंद कर दिया था। 2019 में सपा के साथ तालमेल में 10 सीट जीतने के बाद भी मायावती ने कार्यकर्ताओं के साथ संवाद नहीं शुरू किया है। लेकिन अब 10 साल बाद उन्होंने एक संदेश जारी किया है।
मायावती ने 59 पन्नों का एक संदेश जारी किया है, जिसमें कार्यकर्ताओं और नेताओं को कई घटनाक्रम की जानकारी दी गई है। उन्होंने बहुत रणनीतिक तरीके से समाजवादी पार्टी और उसके प्रमुख अखिलेश यादव को निशाना बनाया है। मायावती ने 1993 और 2019 में सपा के साथ किए गठबंधन पर एक तरह से अफसोस जाहिर किया है। उन्होंने बताया है कि इससे पार्टी को नुकसान हुआ। मायावती ने अपने संदेश में बताया है कि 2019 के चुनाव में सपा के पांच सीट पर रह जाने की वजह से अखिलेश इतने आहत हुए थे कि उन्होंने लोगों का फोन उठाना बंद कर दिया था। वे मायावती का भी फोन नहीं उठाते थे। उसके बाद ही मायावती ने तालमेल खत्म करने का फैसला किया। वे सपा को इसलिए निशाना बना रही हैं क्योंकि इस बार लोकसभा चुनाव में बसपा के वोट का एक हिस्सा सपा की ओर गया है। वे अपना वोट वापस हासिल करना चाहती हैं। बहरहाल, मायावती की इस सक्रियता से उत्तर प्रदेश की राजनीति भी रोचक होती जा रही है।