संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी के चेयरमैन पद से मनोज सोनी के इस्तीफे के बाद यह दाव किया जा रहा है कि उनका इस्तीफा निजी कारणों से हुआ है और उसका पूजा खेडकर या किसी और विवाद से कोई लेना देना नहीं है। लेकिन क्या सचमुच ऐसा है? बताया जा रहा है कि पूजा खेडकर ने पिछले साल जब यूपीएससी का इंटरव्यू दिया तो जिस बोर्ड में उनका इंटरव्यू हुआ उसके चेयरमैन मनोज सोनी खुद थे। इंटरव्यू के बाद पूजा खेडकर ने मीडिया को इस बारे में बताया था। उस समय मनोज सोनी यूपीएससी के कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभा रहे थे क्योंकि उनसे पहले के अध्यक्ष प्रदीप कुमार जोशी को बीच में हटना पड़ा था। सोचें, मनोज सोनी लगातार दूसरे अध्यक्ष हैं, जिनका कार्यकाल बीच में ही खत्म हो गया है।
उनसे पहले प्रदीप कुमार जोशी यूपीएससी के अध्यक्ष थे। उनके किस्से और अनोखे हैं। वे 2015 में यूपीएससी के सदस्य बने थे और अगस्त 2020 में इसके चेयरमैन बने। उन्हें अप्रैल 2022 में कुछ विवादों की वजह से पद छोड़ना पड़ा। वे पहले 2006 में मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष थे। वहां भी उनक कार्यकाल विवादों से भरा रहा। राज्य में हुए भर्ती घोटाले यानी व्यापम घोटाले और उसके बाद इस मामले से जुड़े दर्जनों लोगों की असमय मौत का मामला उसी समय सामने आया था। बहरहाल, यूपीएससी से हटे तो प्रदीप कुमार जोशी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के चेयरमैन बन गए। एनटीए ने नीट यूजी की परीक्षा कराई है, जिसमें इतने विवाद हुए हैं। इस साल एनटीए की कई परीक्षाएं रद्द हुई हैं या टली हैं। इसके बावजूद कार्रवाई एनटीए के डीजी पर हुई, चेयरमैन पीके जोशी पर नहीं।
तीसरी संस्था यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन यानी यूजीसी है, जिसके प्रमुख एम जगदीश कुमार हैं, जो पहले जेएनयू के वाइस चांसलर रहे हैं। जेएनयू में उनके कार्यकाल में भी कई तरह के विवाद हुए थे। अभी यूजीसी की नेट परीक्षा भी रद्द हुई है हालांकि उसके आयोजन का जिम्मा एनटीए का था। बहरहाल, कुछ समय पहले अनुदान के लिए एक शोध संस्था के साथ यूजीसी की बैठक हुई, जिसमें शामिल एक वैज्ञानिक ने बताया कि यूजीसी के चेयरमैन यानी जगदीश कुमार ने पूछा कि पहले उनके कितने रिसर्च सफल हुए हैं और इस बात की क्या गारंटी है कि जो रिसर्च वे आगे करेंगे वह सफल होगा? यानी सफल होने की गारंटी होगी तभी उस पर पैसा खर्च होगा। यह सोच रही तो एक भी रिसर्च नहीं हो पाएगा।