केंद्र सरकार ने लैटरल एंट्री के जरिए शीर्ष नौकरशाही में 45 पदों पर भर्ती निकाल कर क्या गलती कर दी है? भाजपा की सहयोगी जनता दल यू के नेता केसी त्यागी का ऐसा कहना है। उन्होंने सैद्धांतिक रूप से भी इस बात का विरोध किया कि बिना आरक्षण लागू किए नियुक्ति की जा रही है। लेकिन इसके साथ ही राजनीतिक पहलू पर भी उन्होंने सरकार का ध्यान खींचा। भाजपा की एक दूसरी सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी के नेता और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी लोक सेवा आयोग की ओर से 45 पदों पर लैटरल एंट्री के लिए निकाली गई भर्ती का विरोध किया और कहा कि वे सरकार के सामने यह मुद्दा उठाएंगे। सिद्धांत रूप से इसका विरोध एक मामला है और राजनीतिक रूप से इतने संवेदनशील मसले पर विपक्ष के हाथों में एक नया मुद्दा देना दूसरी बात है।
सवाल है कि क्या भाजपा और केंद्र सरकार के अधिकारियों या प्रधानमंत्री के सलाहकारों को यह अंदाजा नहीं था कि आरक्षण का मसला इस समय तूल पकड़े हुए है तो ऐस समय में बिना आरक्षण के शीर्ष नौकरशाही में बहाली का विज्ञापन नहीं निकलना चाहिए? ऊपर से चार राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। ऐसे समय में यूपीएससी ने संयुक्त सचिव, निदेशक आदि के 45 पदों की बहाली निकाल दी, जिसमें निजी क्षेत्र के अनुभवी पेशेवर बहाल किए जाएंगे। भले यह नियम पहली बार कांग्रेस की सरकार ने बनाए हों लेकिन अभी तो केंद्र की एनडीए सरकार इस बात को लेकर निशाने पर है कि वह आरक्षण खत्म कर सकती है। विपक्ष एक तरफ यह आरोप लगा रहा है और दूसरी ओर इस आरोप को गलत साबित करने की बजाय सरकार इसे साबित करने वाले कदम उठा रही है। राज्यों के चुनाव में यह बड़ा मुद्दा बनेगा, जिसका जवाब देना भाजपा के लिए मुश्किल होगा।