उत्तर प्रदेश में भाजपा के सहयोगी ओमप्रकाश राजभर की समस्या का समाधान भी नहीं हो रहा है। उन्होंने बड़े धूम-धड़ाके के साथ भाजपा के साथ वापस तालमेल किया था। बताया जा रहा है कि उनको कहा गया था कि भाजपा के साथ आने पर वे राज्य सरकार में मंत्री बनेंगे। लेकिन अभी तक उनको मंत्री नहीं बनाया गया है, जबकि भाजपा के साथ आए छह महीने से ज्यादा हो गए हैं। ऊपर से अभी तक लोकसभा सीटों का बंटवारा भी नहीं हो पाया है। राजभर ने कुछ समय पहले दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी इसके बावजूद तालमेल की गाड़ी आगे नहीं बढ़ी है।
ओमप्रकाश राजभर के बाद दारा सिंह चौहान भाजपा के साथ जुड़े। वे सपा का साथ छोड़ कर भाजपा में गए थे। उनकी उनकी विधानसभा सीट से चुनाव भी लड़ाया गया, जहां वे हार गए। लेकिन उनको पार्टी ने विधान परिषद के लिए उम्मीदवार बना दिया है। इसका मतलब है कि उच्च सदन में जा रहे हैं। उनको भी मंत्री बनाने की बात थी लेकिन कम से कम एमएलसी तो बता दिया गया। बताया जा रहा है कि राजभर पार्टी आलाकमान यानी दिल्ली के शीर्ष नेताओं से बात करके पार्टी में शामिल हुए हैं। इसलिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उनको मंत्री बनाने को राजी नहीं हो रहे हैं। असल में पिछली बार योगी की सरकार से निकलने के बाद राजभर ने बहुत बयानबाजी की थी, जिससे मुख्यमंत्री नाराज हैं। पार्टी के आला नेता भी उनकी नाराजगी नहीं दूर कर पा रहे हैं। लोकसभा की भी आधा दर्जन से ज्यादा सीटों पर राजभर ने दाव किया है, जबकि भाजपा एक-दो से ज्यादा सीट नहीं देना चाहती है।