उत्तर प्रदेश की राजनीति में बहुजन समाज पार्टी की राजनीतिक ताकत काफी कम हो गई है इसके बावजूद उसकी प्रासंगिकता कम नहीं हुई। उलटे दूसरी पार्टियों को उसकी जरूरत बढ़ गई है। असल में बसपा की ताकत कम होने का एक नतीजा यह हुआ है कि पार्टी अब अकेले लड़ने के लायक नहीं रह गई है। पार्टी की सुप्रीमो मायावती को भी पता है कि अकेले लड़े तो फिर 2014 के लोकसभा चुनाव वाला हाल होगा। यानी पार्टी जीरो सीट पर आ जाएगी। उस समय तो फिर भी 20 फीसदी वोट मिल गए थे लेकिन इस बार अकेले लड़ने पर वोट भी 10 फीसदी से नीचे चला जाएगा। सो, एक विधायक और जीरो लोकसभा सीट वाली पार्टी की कोई पूछ नहीं रह जाएगी, यह बात उनको पता है। तभी माना जा रहा है कि पार्टी तालमेल के लिए उपलब्ध है।
जितनी बार मायावती यह ऐलान करती हैं कि वे अकेले लड़ेंगी उतनी बार यह मैसेज बनता है कि वे तालमेल करना चाहती हैं। सो, भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियां बसपा से तालमेल के जुगाड़ में हैं। सवाल है कि मायावती इनमें से किसको चुनेंगी? जानकार सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस या विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ उनकी पसंद है। इसका कारण यह है कि भाजपा उनको ज्यादा सीट नहीं दे सकती है। भाजपा के अपने 62 सांसद हैं और दो उसकी सहयोगी अपना दल के हैं। इसके अलावा भाजपा ने इस बार ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को भी गठबंधन में शामिल किया है। इसलिए भाजपा के पास सीटें नहीं हैं, जो वह मायावती को दे। अगर भाजपा कुछ सीटों की कुर्बानी भी दे तब भी वह 10 से ज्यादा सीट नहीं दे सकती है।
सो, मायावती के लिए भाजपा के साथ जाना थोड़ा मुश्किल है। हालांकि भाजपा ने अपनी पार्टी के नेताओं को साफ निर्देश दिया है कि वे मायावती या उनकी पार्टी के बारे में कोई उलटा सीधा बयान न दें। भाजपा दलित मतदाताओं तक पहुंचने की कोशिश कर रही है लेकिन इस कोशिश में बसपा को नाराज करने का उसका इरादा नहीं है क्योंकि भाजपा को लग रहा है कि मायावती की निष्क्रियता की वजह से दलित वोट का बड़ा हिस्सा भाजपा की ओर शिफ्ट कर रहा है। उसे नाराज नहीं करना है। दूसरे, भाजपा यह भी नहीं चाहती है कि मायावती कांग्रेस या समाजवादी पार्टी के साथ तालमेल की बात करें।
दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी ने मायावती से बातचीत का चैनल खोला है। बताया जा रहा है कि प्रियंका गांधी वाड्रा खुद उनके भतीजे आकाश आनंद से बात कर रही हैं। बसपा से तालमेल की उम्मीद में ही कांग्रेस ने दलित नेता बृजलाल खाबरी को हटा कर भूमिहार नेता अजय राय को प्रदेश अध्यक्ष बनाया। कांग्रेस के साथ दो तरह के तालमेल की चर्चा है। पहली चर्चा तो यह है कि पहले कांग्रेस और बसपा के बीच तालमेल हो और उसमें जयंत चौधरी की पार्टी रालोद को शामिल किया जाए। इस चर्चा के मुताबिक सपा को गठबंधन से बाहर रखना है। इससे कांग्रेस दलित, मुस्लिम, ब्राह्मण और जाट का समीकरण बना रही है। दूसरी चर्चा ‘इंडिया’ में मायावती को शामिल करने की है। यानी बसपा, सपा, कांग्रेस और रालोद का गठबंधन बने। अगर ऐसा होता है तो उत्तर प्रदेश का चुनाव भाजपा के लिए बहुत मुश्किल हो जाएगा।