उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के बाद उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने खूब राजनीति की थी। वे कई दिनों तक दिल्ली में बैठे रहे थे। चर्चा थी कि पार्टी आलाकमान भी योगी आदित्यनाथ से खुश नहीं है और मुख्यमंत्री बदला जा सकता है। यह भी खबर आई थी कि दोनों उप मुख्यमंत्री यानी केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक मुख्यमंत्री की ओर से बुलाई गई बैठकों में शामिल नहीं हो रहे थे। हालांकि बाद में सब चीजें सामान्य हो गईं और खबर आई कि भाजपा हाईकमान ने योगी आदित्यनाथ को उपचुनावों तक मौका दिया है। अगर उपचुनाव में भाजपा का प्रदर्शन ठीक नहीं होता है तो बदलाव हो सकता है। तभी योगी आदित्यनाथ इस चुनाव को करो या मरो के अंदाज में लड़ रहे हैं। लेकिन ऐसा लग रहा है कि केशव प्रसाद मौर्य उनके अभियान को पंक्चर करने में लगे हैं।
योगी आदित्यनाथ इस नारे पर चुनाव लड़ रहे हैं कि ‘बंटेंगे तो कटेंगे’। उन्होंने कई बार बांग्लादेश के हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार का मुद्दा बनाया और उसकी मिसाल देकर ही ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का नारा चलाया। लेकिन केशव प्रसाद मौर्य ने कह दिया है कि यह भाजपा का नारा नहीं है और भाजपा इस नारे पर चुनाव नहीं लड़ रही है। योगी समर्थकों का मानना है कि उपचुनाव में भितरघात हो रहा है और पार्टी के अनेक नेता इसमें भाजपा उम्मीदवारों का अंदररखाने विरोध कर रहे हैं। उनको पता है कि अगर भाजपा का प्रदर्शन अच्छा होता है तो 2027 के चुनाव के लिए योगी की कुर्सी पक्की होगी। तभी उनके नारे को नुकसानदेह बता कर भाजपा के कुछ नेता पल्ला झाड़ रहे हैं तो भाजपा के कुछ नेता इसके मुकाबले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से दिए गए नारे ‘एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे’ का जिक्र कर रहे हैं।