समाजवादी पार्टी और कांग्रेस में सीट बंटवारे का मामला खत्म ही नहीं हो रहा है। मध्य प्रदेश से शुरू हुआ विवाद हरियाणा होते हुए अब महाराष्ट्र तक पहुंच गया है। इस बीच उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव में भी दोनों पार्टियों के बीच सीट बंटवारा तय नहीं हो रहा है। सपा महाराष्ट्र में सीटें मांग रही है। वैसे वहां उसके पास अबू आसिम आजमी जैसे बड़े नेता हैं, जो अपने दम पर विधायक होते रहे हैं। लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरने के बाद सपा की महत्वाकांक्षा बढ़ी है। अखिलेश यादव अपने को पीडीए यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक का सबसे बड़ा नेता मानने लगे हैं। उनको पता है कि उत्तर प्रदेश के लोगों की बड़ी आबादी मुंबई और महाराष्ट्र के दूसरे शहरों में रहती है।
तभी अखिलेश ने उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में सीटों के बंटवारे को महाराष्ट्र से जोड़ दिया है। वैसे भी वे उत्तर प्रदेश की 10 खाली सीटों में से छह पर उम्मीदवार घोषित कर चुके हैं। बची हुई चार सीटों में से वे एक या दो सीट कांग्रेस को देने को तैयार हैं। लेकिन वह भी तब जब उनको महाराष्ट्र में मन लायक सीटें मिलें। उनकी पार्टी कह रही है कि लोकसभा में कांग्रेस को 17 सीटें इसलिए दे दी थी क्योंकि राहुल गांधी तब प्रधानमंत्री पद के दावेदार माने जा रहे थे। विधानसभा में तो कांग्रेस का कुछ ही ही नहीं तो वह क्यों ज्यादा सीट मांग रही है। जवाब में कांग्रेस का कहना है कि उपचुनाव में तो अखिलेश भी सीएम दावेदार नहीं हैं और न महाराष्ट्र में सपा का कोई दावेदार है फिर क्यों उनको ज्यादा सीट चाहिए?