उत्तर प्रदेश की राजनीति पर लोकसभा चुनावों के नतीजों ने जितना असर नहीं डाला है उससे ज्यादा असर 10 विधानसभा सीटों के उपचुनाव का होने वाला है। तभी इसे मिनी विधानसभा चुनाव मान कर सारी पार्टियां तैयारी कर रही हैं। भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच सीधा मुकाबला होना है और दोनों की राजनीति इससे प्रभावित होगी। लेकिन कांग्रेस भी कम तैयारी नहीं कर रही है और उपचुनाव नहीं लड़ने वाली बहुजन समाज पार्टी भी चुनाव की तैयारियां जोर शोर से कर रही है। अभी तक चुनाव की घोषणा नहीं हुई है। माना जा रहा है कि आठ अक्टूबर के बाद जब महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव की घोषणा होगी तो उसके साथ ही उत्तर प्रदेश की 10 और कुछ अन्य राज्यों की 30 से ज्यादा विधानसभा सीटों और केरल की वायनाड सीट पर लोकसभा के उपचुनाव की घोषणा होगी।
दस सीटों के उपचुनाव की घोषणा से पहले कांग्रेस पार्टी ने ऐलान किया है कि वह सभी सीटों पर संविधान सम्मान सम्मेलन करेगी। पिछले कुछ समय से कांग्रेस का संविधान सम्मान सम्मेलन चल रहा है लेकिन हर बार यह सम्मेलन किसी न किसी विवाद में फंस जा रहा है। फिर भी 10 सीटों पर उसके सम्मेलन को लेकर उत्सुकता पैदा हुई है क्योंकि कांग्रेस इनमें से पांच सीटों पर लड़ना चाहती है, जबकि समाजवादी पार्टी एक से ज्यादा सीट देने को तैयार नहीं। सपा एक गाजियाबाद की सीट कांग्रेस को दे सकती है। सपा को इस बार अपनी ताकत दिखाने के लिए ज्यादा सीटों पर लड़ना है। उसको लग रहा है कि अगर उसने भाजपा को हरा दिया तो भाजपा के अंदर चल रहा विवाद बढ़ेगा और हो सकता है कि पार्टी के आला नेता यानी नरेंद्र मोदी और अमित शाह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हटाने का दांव चले। अगर ऐसा होता है तो भाजपा की स्थिति बिगड़ेगी और उसका फायदा अगले विधानसभा चुनाव में सपा को होगा। इसलिए सपा भी सभी सीटों पर पूरा दम लगा रही है और योगी आदित्यनाथ तो इन सीटों पर करो या मरो के अंदाज में तैयारी कर रहे हैं।