लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के नतीजों को लेकर रविवार को एक बड़ी बैठक लखनऊ में हुई। इसमें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शामिल हुए और करीब तीन हजार नेताओं ने हिस्सा लिया। इस बैठक में तो पार्टी के नेताओं ने एकजुटता दिखाई और कार्यकर्ताओं से भी एकजुट होकर काम करने की अपील की। लेकिन क्या सचमुच पार्टी में एकता है या अंदरखाने कोई साजिश चल रही है? क्या सचमुच लोकसभा चुनाव में यूपी के नतीजों के बहाने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हटाने की योजना पर काम हो रहा है?
बदलापुर सीट के भाजपा विधायक रमेश चंद्र मिश्र का बयान अनायास नहीं था। उन्होंने योगी आदित्यनाथ सरकार की खामियां गिनाते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में 2027 का चुनाव जीतना मुश्किल होगा। हालांकि बाद में वे अपने बयान से पलट गए। लेकिन इसकी चर्चा रविवार की बैठक में हुई। बैठक में पार्टी के नेता और राज्य सरकार के मंत्री अनिल राजभर ने बिना किसी का नाम लिए विधायकों को नसीहत दी और कहा कि उनको सरकार के खिलाफ सार्वजनिक बयानबाजी से बचना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी के नेता हर मसले पर बयान न दें, जो अधिकृत है उसे बोलने दें।
इतना ही नहीं पार्टी के दो बड़े नेताओं ने इशारों इशारों में सरकार और संगठन के बीच सब कुछ ठीक नहीं होने का संकेत दिया। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने कहा कि कार्यकर्ता सर्वोपति है और उसके मामले में समझौता नहीं करेंगे। इसी तरह बैठक में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने वहां मौजूद लोगों से कहा कि ‘संगठन सरकार से बड़ा है और जो आपका दर्द है वही मेरा भी दर्द है’। उन्होंने यह नहीं कहा कि उनका क्या दर्द है लेकिन लोगों को पता है कि दो बार से उप मुख्यमंत्री बन रहे केशव प्रसाद मौर्य का क्या दर्द है। बहरहाल, संगठन को सरकार से बड़ा बता कर उनको मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संदेश दिया है।
गौरतलब है कि इस बार उत्तर प्रदेश में भाजपा सिर्फ 33 सीटें जीत पाई, जबकि पिछली बार उसने 62 सीटें जीती थी और उससे पहले भाजपा ने अकेले 71 सीट जीती थी। पिछले तीन चुनावों में इस बार भाजपा का प्रदर्शन सबसे खराब रहा। माना जा रहा है कि चुनाव से पहले पार्टी के शीर्ष नेतृत्व और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच सब कुछ ठीक नहीं होने की खबरों का जो प्रचार हुआ उसकी वजह से भाजपा को नुकसान हुआ। चुनाव से पहले यह धारणा बनी कि अगर केंद्र में फिर बड़े बहुमत से मोदी की सरकार बनी तो उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री बदला जाएगा। इसके बाद ही यह चर्चा चली कि राजपूत नाराज हैं और भाजपा को हरवाने के लिए काम कर रहे हैं या नौकरशाही सहयोग नहीं कर रही है। यह भी कहा गया कि योगी ने ढील दे दी और उन्होंने अपने को चुनाव में नहीं झोंका। इसके बाद सचमुच नतीजे भी बहुत खराब आए। नतीजों के बाद बताया जा रहा है कि केशव प्रसाद मौर्य ने काफी समय दिल्ली में बिताया। तभी योगी को हटाने की तैयारियों की खबर तेज हो गई।