उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू होने जा रही है। जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में बनी पांच सदस्यों की विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है और पांच फरवरी से बुलाए गए विशेष सत्र में इस बिल को विधानसभा में पेश किया जाएगा। छह फरवरी को यह बिल पास हो सकता है। इस तरह उत्तराखंड पहला राज्य बन सकता है, जहां सभी नागरिकों के लिए समान कानून बनेगा। बिल पास होने से पहले ही असम सरकार ने कहा है कि वह उत्तराखंड के बिल को मॉडल बना कर अपने यहां भी इसे लागू करेगी। गुजरात की सरकार भी समान कानून लागू करने की तैयारी कर रही है। इस तरह लोकसभा चुनाव से पहले देश के तीन राज्यों में समान नागरिक संहिता लागू हो सकती है। उसके बाद पूरे देश में इसे लागू करने की बारी आएगी।
गौरतलब है कि भाजपा के घोषणापत्र में पिछले कई दशकों से तीन मुद्दे प्रमुखता से शामिल किए जाते थे। पहला मुद्दा अयोध्या में राममंदिर निर्माण का था और दूसरा मुद्दा जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 3709 समाप्त करने का था। ये दोनों काम हो गए। केंद्र सरकार ने अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 हटा दिया और जम्मू कश्मीर का विभाजन भी कर दिया। उसके बाद अदालत के आदेश से मंदिर निर्माण शुरू हुआ, जिसका उद्घाटन 22 जनवरी को हो गया। अब तीसरे मुद्दे की बारी है, जो पूरे देश में समान नागरिक कानून लागू करने है। यह अलग बात है कि सरकार एक साथ इसे पूरे देश में लागू नहीं कर रही है। लेकिन भाजपा शासित राज्यों में इसके लागू होने से पूरे देश में मैसेज चला जाएगा।