ऐसा नहीं है कि सिर्फ भाजपा समर्थक ट्रोल्स दुखी हैं। कांग्रेस के इकोसिस्टम में काम करने वाले इन्फ्लूयंसर्स और यूट्यूबर्स भी कम दुखी नहीं हैं। उनको लग रहा था कि भाजपा से असली लड़ाई तो वे लड़ रहे हैं और कांग्रेस को जो भी फायदा हुआ है वह उनकी मेहनत का फल है। लेकिन कांग्रेस की ओर से किसी ने इसका श्रेय उनको नहीं दिया। इक्का दुक्का लोगों को छोड़ दें, जो सचमुच अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता की वजह से भाजपा का विरोध करते हैं तो बाकी ज्यादातर लोगों को उम्मीद है कि कांग्रेस से कुछ हासिल होगा। बहुत सारे तो ऐसे हैं, जो किसी न किसी बहाने मुस्लिम मुद्दा खोज कर ला रहे हैं और भाजपा का विरोध कर रहे हैं। इससे उनके सब्सक्राइबर और व्यूअर्स बढ़ रहे हैं। सो, सोशल मीडिया के पेआउट के लिए वे अपने काम में लगे हुए हैं।
ऐसे तमाम लोगों की समस्या यह है कि ये लोग अपने को कांग्रेस गांधी से बड़ा कांग्रेस हितैषी समझने लगे हैं। तभी यहां तक राय देते हैं कि कांग्रेस को किससे तालमेल करना चाहिए और कहां किसको टिकट देनी चाहिए, किसको पार्टी में लेना चाहिए और किसको पार्टी से निकाल देना चाहिए। जब कांग्रेस उनकी बात नहीं मानती है तो निराश हो जाते हैं। अभी हरियाणा में राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला ने रॉकी मित्तल नाम के एक सोशल मीडिया इन्फ्लूयंसर को कांग्रेस में शामिल कराया तो कई कांग्रेस समर्थक सोशल मीडिया वॉरियर सुरजेवाला वाला पर टूट पड़े। एक सज्जन ने तो यहां तक लिखा कि राहुल गांधी को गाली देने वालों के लिए कांग्रेस के दरवाजे खुले हों या नहीं लेकिन कांग्रेस के दरवाजे हमेशा खुले रहते हैं। अपने ही रचे भ्रम में या बबल्स में रहने वाले ये सोशल मीडिया के वारियर्स को राजनीति की जटिलताओं का रत्ती भर अंदाजा नहीं होता है लेकिन सब अपने अपने सब्सक्राइवर्स की संख्या के हिसाब से पार्टियों और नेताओं को ज्ञान देने में लगे रहते हैं। यह अलग बात है कि पार्टियां कम ही ज्ञान लेती हैं।