एक संभावना बनी थी कि पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत कम हो सकती है। कहा जा रहा था कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में चार रुपए प्रति लीटर से लेकर 10 रुपए तक की कमी आ सकती है। इसका कारण यह बताया जा रहा था कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत तीन साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है। कच्चे तेल की कीमत 75 डॉलर प्रति बैरल से नीचे हो गई थी। उत्पादन कम करने के बावजूद कीमतों में इजाफा नहीं हुआ था तभी कहा जा रहा था कि पेट्रोलियम कंपनियां कीमत घटा सकती हैं और इसके लिए सरकार को अपने खजाने से कुछ नहीं देना होगा। यानी सरकार को शुल्क में कमी नहीं करनी है।
लेकिन इसी बीच ईरान भी मध्य पूर्व में चल रही जंग में फंस गया। इजराइल ने पहले हमास के खिलाफ लड़ाई छेडी, फिर हिजबुल्ला के खिलाफ और हूती विद्रोहियों से भी लड़ाई चलती रही। लेकिन लेबनान में इजराइल की कार्रवाई के बाद ईरान ने उसके ऊपर हमला किया और अब इजराइल ने बदला लेने का ऐलान किया है। इस चिंता में कच्चे तेल के दाम बढ़ने लगे हैं। दो दिन के भीतर चार फीसदी तक दाम बढ़ गए हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर कच्चे तेल की कीमत में 10 डॉलर प्रति बैरल का इजाफा होता है तो भारत में 0.3 फीसदी महंगाई बढ़ जाती है। सो, अब पेट्रोल, डीजल के दाम कम होने की संभावना खत्म हो गई है और साथ ही दूसरी कई जरूरी वस्तुओं की कीमतें बढ़ने का रास्ता भी खुल गया है।