यह कमाल की बात है कि तमिलनाडु में सत्तारूढ़ डीएमके अपनी लड़ाई भाजपा से बता रही है। डीएमके नेता और राज्य के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने एक ताजा बयान में कहा है कि जब तक भाजपा को बाहर नहीं कर देंगे तब तक चैन नहीं लेंगे।
सोचें, भाजपा को बाहर करने का क्या मतलब है? तमिलनाडु में भाजपा का कोई सांसद नहीं है और विधानसभा में उसके चार सदस्य हैं। परंतु अभी विधानसभा का चुनाव नहीं हो रहा है। सो, जब लोकसभा में भाजपा का कोई सदस्य ही नहीं है तो उदयनिधि स्टालिन कहां से बाहर करने की बात कर रहे हैं? क्या वे भाजपा को तमिलनाडु में राजनीति नहीं कर देंगे? वहां उसे चुनाव नहीं लड़ने देंगे?
सबको पता है कि डीएमके की लड़ाई अन्ना डीएमके से है, जिसने पिछले लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बावजूद विधानसभा के चुनाव में बहुत शानदार प्रदर्शन किया था। लेकिन एमके स्टालिन और उदयनिधि स्टालिन दोनों भाजपा से लड़ते दिख रहे हैं।
ऐसा लग रहा है कि वे लगातार भाजपा पर हमला करके यह मैसेज बनवा रहे हैं कि अन्ना डीएमके लड़ाई में नहीं है। यह भी लग रहा है कि दोनों पिता पुत्र भाजपा को कमजोर प्रतिद्वंद्वी मान रहे हैं। लेकिन यह रणनीति दीर्घावधि में तमिलनाडु की राजनीति को पूरी तरह से बदल सकती है। यह संभव है कि राज्य की राजनीति में दशकों बाद भाजपा के रूप में कोई राष्ट्रीय पार्टी मजबूती से स्थापित हो।