तमिलनाडु में अन्ना डीएमके ने भाजपा से तालमेल खत्म कर दिया है। उसने कहा है कि चुनाव के बाद वह फिर से एनडीए में शामिल होने के बारे में सोचेगी। इस बीच अब भाजपा को अपनी रणनीति तय करनी है। उसे अकेले लड़ना है या प्रयास करके अन्ना डीएमके नेता ई पलानीस्वामी को मनाना है और उनको वापस एनडीए में लाना है या दूसरी छोटी पार्टियों के साथ मिल कर राजनीति करनी है यह पार्टी नेताओं को तय करना है। भाजपा के नेता मान रहे हैं कि तीन हिस्सों में बंटी अन्ना डीएमके की वजह से उसके पास विकल्प हैं।
इस बीच अन्ना डीएमके से अलग होकर बनी एएमएमके ने वापस अन्ना डीएमके में विलय से इनकार कर दिया है। पार्टी के नेता टीटीवी दिनाकरण ने अलग राजनीति जारी रखने का ऐलान किया है। ध्यान रहे जयललिता की करीबी सहयोगी रही वीके शशिकला के भतीजे दिनाकरण के प्रति अन्ना डीएमके के कई नेताओं का सद्भाव है। भाजपा को भी शशिकला और दिनाकरण का इस्तेमाल दिख रहा है। ई पलानीस्वामी और टीटीवी दिनाकरण के अलावा अन्ना डीएमके का तीसरा खेमा ओ पनीरसेल्वम का है। वे पार्टी संगठन और कानून की लड़ाई दोनों में पलानीस्वामी से हार गए हैं लेकिन चुप नहीं बैठे हैं। तभी यह देखना दिलचस्प होगा कि तीन खेमों में बंटी अन्ना डीएमके की राजनीति आगे कैसे बढ़ती है और भाजपा इसमें क्या खेल करती है।