दो लोगों ने एक दूसरे पर मारपीट या बदसलूकी का आरोप लगाया है, लोग कितने महत्वपूर्ण है यह मसला नहीं है, लेकिन ऐसी स्थिति में कानून क्या कहता है? ऐसे मामलों में आमतौर पर थाने से जमानत मिल जाती है और अगर थाने से नहीं मिली तो अदालत में जाते ही जमानत मिल जाती है। लेकिन आम आदमी पार्टी का राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पीए बिभव कुमार पर मारपीट का आरोप लगाया और जवाब में बिभव ने दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि सीएम आवास पर पहुंच कर स्वाति ने मुख्यमंत्री के कर्मचारियों और सुरक्षाकर्मियों के साथ बदतमीजी की। वे बिना बुलाए पहुंच गईं थीं और जबरदस्ती घर में घुस गई थीं। इस आरोप पर तो पुलिस ने पता नहीं क्या कार्रवाई की लेकिन सीएम आवास में स्वाति से हुई मारपीट के मामले में बिभव गिरफ्तार कर लिए गए। जांच के लिए एसआईटी बना दी गई। पुलिस ने बिभव को पांच दिन तक हिरासत में लेकर पूछताछ की। उसके बाद उनको न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया और पुलिस ने कहा कि वह फिर उनको रिमांड पर ले सकती है।
सोचें, एक मारपीट के मामले में पुलिस ने पांच दिन तक न्यायिक हिरासत में क्या पूछताछ की होगी? स्वाति मालीवाल का आरोप है कि बिभव ने सात-आठ थप्पड़ मारे और पेट के नीचे लात मारी। अब इस केस में पूछताछ के लिए क्या है? क्या एक एक थप्पड़ के बारे में पुलिस एक एक दिन पूछताछ कर रही होगी? क्या पुलिस ने पूछा होगा कि थप्पड़ मारना कहां से सीखा और जीवन में पहला थप्पड़ किसको मारा था? क्या थप्पड़ मारने के पीछे कोई बड़ी गहरी साजिश पुलिस को दिख रही है, जिसका आरोप स्वाति मालीवाल ने नहीं लगाया है लेकिन पुलिस उसका खुलासा करना चाहती है? यह भी सवाल है कि क्या एसआईटी इस मामले की जांच के लिए बिहार में स्थित उनके पैतृक गांव भी जाएगी? क्या उनके तमाम रिश्तेदारों से पूछताछ होगी और उनके बैंक खातों और संपत्ति की भी जांच होगी?
ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि दिल्ली पुलिस बिभव कुमार के फोन के पीछे पड़ी है। फोन का डाटा निकालने के लिए पुलिस उनको लेकर मुंबई गई थी। पुलिस का कहना है कि उन्होंने फोन फॉर्मेट कर दिया है। सोचें, फोन फॉर्मेट कर दिया तो इससे पुलिस का क्या लेना देना? क्या फोन में बिभव ने स्वाति को थप्पड़ मारने की वीडियो रिकॉर्ड की थी, जो उन्होंने डिलीट कर दी है? जाहिर है कि पुलिस स्वाति मालीवाल के साथ हुई मारपीट की जांच नहीं कर रही है, बल्कि मारपीट का बहाना बना कर वह बिभव कुमार से मुख्यमंत्री केजरीवाल, उनकी सरकार और उनकी पार्टी के बारे में कुछ ऐसी जानकारी निकालना चाहती है, जिसका कोई राजनीतिक इस्तेमाल हो सके। उनके फोन में पुलिस मारपीट का सबूत नहीं तलाश रही है, बल्कि व्हाट्सऐप मैसेज, कॉल, चैट्स, फैसटाइम कॉल रिकॉर्ड और अन्य चीजें देखना चाहती है, जिनसे किसी बड़ी चीज का पर्दाफाश हो सके। तभी ऐसा लग रहा है कि इस पूरी जांच का स्वाति मालीवाल से मारपीट के साथ बहुत मामूली संबंध है। इस बहाने केजरीवाल को घेरने वाले दूसरे सबूत तलाशे जा रहे हैं। बिभव को तोड़ने की भी कोशिश की जा रही है ताकि उनको केजरीवाल के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सके।