कांग्रेस नेता राहुल गांधी पूरे देश में विचारधारा की लड़ाई लड़ने की बात कर रहे हैं। उनका कहना है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार संविधान और लोकतंत्र को खत्म कर रही है। वह विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार करके जेल में डाल रही है, जबकि कांग्रेस लोकतंत्र और संविधान बचाने के लिए लड़ रही है। राहुल ने वादा किया है कि कांग्रेस की सरकार बनी तो केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई पर लगाम लगेगी। उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को बड़ा मुद्दा बनाया हैं। लेकिन चाहते हैं कि केरल के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन गिरफ्तार हो जाएं। सोचें, यही राहुल गांधी की विचारधारा की लड़ाई है?
उनको लग रहा है कि जो विपक्षी पार्टी उनके साथ है या ‘इंडिया’ ब्लॉक का हिस्सा है उसके नेताओं पर तो कार्रवाई नहीं हो। अगर उनके खिलाफ कार्रवाई होती है तो संविधान और लोकतंत्र खतरे में आएगा। लेकिन कांग्रेस के साथ जो विपक्षी पार्टी नहीं है उसका नेता गिरफ्तार होता है तो वह संविधान और लोकतंत्र पर हमला नहीं माना जाएगा! इसी तर्क के साथ राहुल गांधी ने केरल में कहा कि अरविंद केजरीवाल और हेमंत सोरेन गिरफ्तार होकर जेल चले गए लेकिन पिनरायी विजयन पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? राहुल का कहना है कि पिनरायी विजयन भाजपा से मिले हुए हैं। सोचें, यह क्या तर्क है और क्या राजनीति है?
राहुल गांधी केरल में चुनाव प्रचार में जिन कम्युनिस्ट पार्टियों पर भाजपा से मिले होने का आरोप लगा रहे हैं उन्हीं के साथ पड़ोसी राज्य तमिलनाडु में तालमेल करके लड़ रहे हैं। बिहार और झारखंड में कांग्रेस पार्टी का कम्युनिस्ट पार्टियों के साथ तालमेल है। तो तमिलनाडु, बिहार, झारखंड आदि राज्यों में कम्युनिस्ट पार्टियां पवित्र हैं, भाजपा से लड़ रही हैं लेकिन केरल में वह भाजपा से मिली हुई है। सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी को राहुल गांधी बॉस कहते हैं। उनके साथ मंच साझा करते हैं लेकिन केरल जाते हैं तो आरोप लगाते हैं कि येचुरी की पार्टी भाजपा से मिली हुई है।
ध्यान रहे केरल में केंद्रीय एजेंसियों ने कम कार्रवाई नहीं की है। मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन पर कई तरह के आरोप लगे हैं। उनकी बेटी को ईडी ने नोटिस भेजा हुआ है। जांच चल रही है लेकिन राहुल गांधी को इसको केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग नहीं मानते हैं। इस तरह का सेलेक्टिव एप्रोच उनके और समूचे विपक्ष के अभियान को कमजोर कर रहा है। चूंकि राहुल गांधी को केरल में अपनी पार्टी की जीती 15 सीटें बचानी हैं, जिसमें उनकी अपनी वायनाड सीट भी है इसलिए वे कम्युनिस्ट पार्टियों पर खूब हमले कर रहे हैं। सोचें, केरल की 15 सीटों के चक्कर में राहुल गांधी केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई का समर्थन करने को तैयार हैं! सवाल है कि जब 15 सीटों के लिए विचारधारा और प्रतिबद्धता के साथ इस तरह समझौता किया जा सकता है तो किसी बड़ी चीज के लिए क्या हो सकता है?