यह बहुत हैरानी की बात है कि राज्यों की सरकारें दावा कर रही हैं कि वे अपने यहां नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए को नहीं लागू होने देंगी। सीएए के नियमों की अधिसूचना जारी होने के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा है कि वे अपने राज्य में इसे नहीं होने देंगे। जब यह कानून बना था तब भी कई गैर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इसका दावा किया था। CAA
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कानून लागू होने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि वे अपने राज्य से किसी को जाने नहीं देंगी। लेकिन हकीकत यह है जो स्टालिन कह रहे हैं वह भी गलत है और जो ममता बनर्जी कह रही हैं वह भी गलत है। इस कानून से राज्यों का कोई लेना देना नहीं है।
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स्टालिन या कोई भी मुख्यमंत्री इस कानून को लागू होने से नहीं रोक सकता है क्योंकि राज्य की इसमें कोई भूमिका नहीं है। केंद्र सरकार ने एक वेबपोर्टल लॉन्च कर दिया है। पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से किसी तरह के उत्पीड़न का शिकार होकर आए लोगों को इस पोर्टल पर आवेदन करना है। उनके लिए नौ दस्तावेजों की एक सूची जारी की गई है।
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उनमें से कोई भी दस्तावेज जमा करके वे नागरिकता के लिए आवेदन कर सकती हैं। उनकी जांच और फैसला सब केंद्र के हाथ में है। इसमें राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं है। इसी तरह आवेदन नहीं करने वालों को इस कानून के तहत देश से निकालने का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए ममता बनर्जी की बात का भी कोई मतलब नहीं है। हां, यह संभव है कि सीएएस के बाद पूरे देश में नागरिक रजिस्टर यानी सीएए का कानून बने तब लोगों को निकालने का प्रक्रिया शुरू हो सकती है।