राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

स्मृति की सदाशयता का क्या मतलब?

पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी के प्रति सदाशयता दिखाई है। उन्होंने एक इंटरव्यू में राहुल की राजनीति का वस्तुनिष्ठ विश्लेषण किया। स्मृति ने कहा कि भाजपा को राहुल की राजनीति को हलके में नहीं लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि राहुल टी शर्ट पहन कर संसद आ रहे हैं तो युवाओं को मैसेज दे रहे हैं। वे जो कर रहे हैं वह भले भाजपा को बचकाना लगे लेकिन वे अलग तरह की राजनीति कर रहे हैं। स्मृति ने यह भी कहा कि राहुल ने सफलता का स्वाद चख लिया है। सवाल है कि इस सदाशयता के पीछे क्या है? क्या सचमुच अमेठी की हार ने स्मृति ईरानी को बदल दिया है? इससे पहले तो वह राहुल और नेहरू गांधी परिवार पर हमला करने का कोई मौका नहीं छोड़ती थीं।

ऐसा लग रहा है कि इसके पीछे हृदय परिवर्तन वाली कोई बात नहीं है। इस सदाशयता के पीछे विशुद्ध राजनीति है। असल में लोकसभा चुनाव नतीजों के तुरंत बाद चर्चा हुई थी कि मोदी सरकार में मंत्री रहे दो तीन लोगों की चुनाव हारने के बाद भी सरकार में वापसी हो सकती है। उसमें स्मृति ईरानी और आरके सिंह का नाम लिया जा रहा था। कहा जा रहा था कि दोनों को राज्यसभा के उपचुनाव में मौका मिल जाएगा। लेकिन राज्यसभा की 12 सीटों के उपचुनाव में इनकी अनदेखी हो गई। तभी स्मृति ईरानी ने राज्यसभा के उपचुनावों के बाद ही बोला है। यह भी कहा जा रहा है कि पार्टी के अंदर एक खेमा उनको और हाशिए पर धकेलने में लगा हुआ है। उनको संगठन में भी कोई पद नहीं मिले, इसके प्रयास हो रहे हैं। तभी उन्होंने दबाव की राजनीति शुरू की है। राहुल के प्रति उनकी राय से भाजपा का कोई लेना देना नहीं है यह उनकी अपनी राजनीति का हिस्सा है।

By NI Political Desk

Get insights from the Nayaindia Political Desk, offering in-depth analysis, updates, and breaking news on Indian politics. From government policies to election coverage, we keep you informed on key political developments shaping the nation.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *