बिहार में राजनीति अब बिजली के स्मार्ट मीटर पर जमीन सर्वेक्षण के बाद अब बिजली के स्मार्ट मीटर पर नीतीश कुमार की सरकार घिरी है। किसी को समझ में नहीं आ रही है कि आखिर चुनाव से पहले क्यों नीतीश सरकार ऐसे काम कर रही है, जिससे आम आदमी की परेशानी बढ़ रही है। बिजली मीटर के खिलाफ पहले आम लोगों ने आंदोलन किया लेकिन अब मुख्य विपक्षी पार्टी राजद ने इसे बड़ा मुद्दा बना दिया है। राजद ने एक अक्टूबर से स्मार्ट मीटर के खिलाफ पूरे प्रदेश में आंदोलन का ऐलान किया है।
राजद नेता कह रहे हैं कि वे स्मार्ट मीटर निकाल कर फेंक देंगे तो दूसरी ओर नीतीश कुमार ने अपनी जिद दिखाते हुए कहा है कि स्मार्ट मीटर लग कर रहेगा। उन्होंने ऊर्जा विभाग की समीक्षा बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे ज्यादा से ज्यादा स्मार्ट मीटर लगाने का अभियान चलाएं। अभी तक पूरे देश में डेढ़ करोड़ के करीब स्मार्ट मीटर लगे हैं, जिनमें से अकेले बिहार में 50 लाख मीटर लगे हैं।
बिहार में लोग इसलिए परेशान हैं क्योंकि स्मार्ट मीटर प्रीपेड हैं। यानी लोगों को एडवांस में इसे रिचार्ज कराना पड़ रहा है और जैसे ही इसके पैसे खत्म हो रहे हैं वैसे ही बिजली कट जा रही है। बिहार सरकार आम लोगों के घरों में, जिनके पास आय के नियमित साधन नहीं हैं वहां प्रीपेड मीटर लगवा रही है लेकिन पटना में सरकारी बाबुओं और नेताओं की कोठियों में पोस्ट पेड मीटर लग रहा है। बहरहाल, चुनाव से पहले स्मार्ट मीटर का विवाद 2013 के अरविंद केजरीवाल के आंदोलन की याद दिलाने वाला है। 2013 के मार्च में केजरीवाल ने बिजली के बढ़ते बिल और डिस्कनेक्शन के खिलाफ आंदोलन किया था।
उन पर कई मुकदमे हुए थे। बाद में वे अनशन पर भी बैठे और 15 तक भूख हड़ताल की। इसके छह महीने बाद हुए चुनाव में उनकी पार्टी को 28 सीटें मिलीं और वे मुख्यमंत्री बने। उसके बाद से कांग्रेस का जो सफाया हुआ वह आज तक खाता नहीं खोल पाई है। केजरीवाल की तरह बिहार में तेजस्वी और प्रशांत किशोर की पार्टी आंदोलन की तैयारी में है।