भाजपा के वरिष्ठ नेता और बरेली से आठ बार सांसद रहे संतोष गंगवार को पहले मोदी सरकार से हटाया गया था और उसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव की टिकट नहीं दी गई। लेकिन अचानक उनको बड़ी अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है। उनको झारखंड का राज्यपाल बनाया गया है, जहां इस साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। गंगवार उत्तर प्रदेश के हैं और कुर्मी जाति से आते हैं। गौरतलब है कि झारखंड में कुर्मी की बड़ी आबादी है। आदिवासी के बाद सबसे बड़ी संख्या कुर्मी की है। एक अनुमान के मुताबिक करीब 22 फीसदी कुर्मी हैं। राज्य की आठ सामान्य सीटों में से दो सीटों पर कुर्मी सांसद हैं। पिछले कुछ समय से भाजपा इस जाति की राजनीति साधने के प्रयास में लगी है।
गौरतलब है कि ऐतिहासिक रूप से झारखंड में कुर्मी का वोट झारखंड मुक्ति मोर्चा को जाता है। उसके बाद सुदेश महतो की पार्टी आजसू को भी इसका वोट मिलता है। अब जयराम महतो नए खिलाड़ी उभरे हैं, जिनको कहीं से अदृश्य मदद हासिल हो रही है। लोकसभा चुनाव में जयराम महतो और उनके प्रत्याशियों ने कई सीटों पर जबरदस्त प्रदर्शन किया। विधानसभा चुनाव में जयराम महतो बहुत बड़ा फैक्टर होंगे। इस बीच राज्य में कुर्मी जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का एक आंदोलन चल रहा है। यह आंदोलन जेएमएम के साथ टकराव का कारण बन सकता है। इन तमाम राजनीतिक हालात के बीच भाजपा ने कुर्मी जाति के एक बड़े नेता को झारखंड का राज्यपाल बनाया है। उनको झारखंड की धरती पर पहुंचने से पहले ही जातीय नेताओं को सक्रियता तेज हो गई। भाजपा का प्रयास है कि कुर्मी वोट का कुछ हिस्सा उसको भी मिले और बाकी वोट जेएमएम, आजसू और जयराम महतो के बीच बंट जाए। इससे जेएमएम की ताकत घटेगी।