लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत गोरखपुर की यात्रा पर पहुंचे। वे बुधवार को संघ के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे और कई दिन तक रूके। गोरखपुर में लंबे अरसे के बाद संघ का पथ संचलन हुआ, जिसका खुद मोहन भागवत ने मुआयना किया। उनकी इस यात्रा की सबसे अहम मगर अपुष्ट बात यह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनकी मुलाकात हुई। बताया जा रहा है कि इस यात्रा के दौरान एक दिन दोनों एक साझा कार्यक्रम में शामिल हुए। उसके बाद रात में दोनों के बीच आधे घंटे की मुलाकात हुई। बताया जा रहा है कि इसमें उत्तर प्रदेश और देश की राजनीति से जुड़े कई अहम मसलों पर चर्चा हुई।
जानकार सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रमुख की गोरखपुर यात्रा अनायास नहीं थी। एक योजना के तहत वे गोरखपुर पहुंचे। इससे पहले उन्होंने लोकसभा चुनाव नतीजों को लेकर बड़ा तीखा बयान दिया। उन्होंने बिना नरेंद्र मोदी का नाम लिए कहा कि सेवक में अहंकार नहीं होना चाहिए। विपक्षी पार्टियों को शत्रु नहीं समझना चाहिए और प्रचार में झूठ का सहारा नहीं लेना चाहिए। इसके बाद जैसे पंडोरा बॉक्स खुल गया। एक के एक करके संघ के नेताओं ने बोलना और लिखना शुरू किया। उसके बाद मोहन भगवत गोरखपुर पहुंचे। बताया जा रहा है कि संघ प्रमुख यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में भाजपा कैसे हारी? अयोध्या में इतने भव्य राममंदिर के उद्घाटन कार्यक्रम के बाद ऐसा क्या हुआ कि भाजपा से लोगों का मोहभंग हो गया? क्या जाति का मुद्दा धर्म के विशाल मुद्दे को कमजोर कर रहा है? अगर ऐसा है तो यह भाजपा से ज्यादा आरएसएस के लिए चिंता की बात होगी क्योंकि कई जातियों को तो राजनीतिक और सामाजिक पहचान ही संघ के प्रयासों से मिली हैं। अगर ऐसी जातियां धर्म की बजाय जाति को ज्यादा महत्व देंगी तो आगे भाजपा की राजनीतिक राह और मुश्किल होगी।